कोरोना की चपेट में आ चुके लोगों के लिए टीके का एक डोज पर्याप्त, अध्ययन से सामने आया यह निष्कर्ष

अध्ययन में पाया गया कि कोरोना की चपेट में आए और जिन लोगों को ठीक होने के तीन से छह महीने के भीतर टीका लगाया गया उनमें एंटीबाडी और मेमोरी टी सेल बनने की रफ्तार कोरोना से संक्रमित न होने और टीके के दो डोज लेने वालों से अधिक रही।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 08:07 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 08:07 PM (IST)
कोरोना की चपेट में आ चुके लोगों के लिए टीके का एक डोज पर्याप्त, अध्ययन से सामने आया यह निष्कर्ष
16 जनवरी से 5 फरवरी के बीच किया गया यह अध्ययन

हैदराबाद, आइएएनएस। जो लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं उनके लिए वैक्सीन (टीका) की एक डोज ही पर्याप्त है। यह बात हैदराबाद के एआएजी अस्पताल द्वारा कराए गए एक अध्ययन से सामने आई है। अस्पताल की ओर से सोमवार को बताया गया कि 16 जनवरी से 5 फरवरी के बीच टीका लगवाने वाले 260 चिकित्सा कर्मियों पर यह अध्ययन कराया है। इन सभी को कोविशील्ड दी गई। इस अध्ययन में दो खास निष्कर्ष सामने आए हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

कोरोना की चपेट में आ चुके लोगों को जब वैक्सीन दी गई तो उनमें कोरोना से पीड़ित न होने वालों की तुलना में एंटीबाडी बनने की क्षमता अधिक पाई गई। इसी तरह कोरोना की चपेट में आ चुके लोगों में मेमोरी टी सेल की दर उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा पाई गई जो कोरोना की चपेट में नहीं आए।

अध्ययन में पाया गया कि कोरोना की चपेट में आए और जिन लोगों को ठीक होने के तीन से छह महीने के भीतर टीका लगाया गया उनमें एंटीबाडी और मेमोरी टी सेल बनने की रफ्तार, कोरोना से संक्रमित न होने और टीके के दो डोज लेने वालों से अधिक रही।

इस अध्ययन में शामिल रहे और एआइजी अस्पताल के चेयरमैन डा.डी.नागेश्वर रेड्डी ने बताया कि ऐसे समय में जब देश में वैक्सीन की किल्लत है इस तरह का निष्कर्ष काफी मददगार हो सकता है। वैक्सीन की डोज की बचत कर ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा सकता है।

डा.नागेश्वर ने कहा कि इस समय हमारी कोशिश होनी चाहिए कि उपलब्ध डोज से ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीका लगाकर हर्ड इम्युनिटी के स्तर तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर के दौरान जब देश में नए मामले तेजी से बढ़ रहे थे तब टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी हो गई थी। 27 अप्रैल को स्थिति यह थी कि सक्रिय मामले एक दिन में 3.23 लाख सामने आए जबकि टीकाकरण की दर मात्र 1.4 फीसद थी। डा.नागेश्वर के अनुसार इस अध्ययन के वैज्ञानिक निष्कर्षो का लाभ लेते हुए हमें जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा आबादी का टीकाकरण करना चाहिए।

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