Omicron Variant News: क्या ओमिक्रोन पर मौजूदा टीके होंगे कारगर या करने पड़ेंगे बदलाव

पहले भी किया जा चुका है वैक्सीन में बदलाव अक्टूबर 2020 में आए बी.1.352 वैरिएंट के लिए भी वैक्सीन में कंपनियों ने तत्काल बदलाव किए थे। चूंकि यह डामिनेंट वैरिएंट नहीं था इसलिए उन्नत वैक्सीन बाजार तक नहीं पहुंची। हालांकि वैक्सीन निर्माताओं की तैयारी पूरी थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 11:03 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 11:04 AM (IST)
Omicron Variant News: क्या ओमिक्रोन पर मौजूदा टीके होंगे कारगर या करने पड़ेंगे बदलाव
यदि ओमिक्रोन वैरिएंट के लिए उन्नत वैक्सीन की आवश्यकता है तो कंपनियों ने रिहर्सल कर लिया है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन को लेकर आमजन के मन में कई प्रश्न हैं जिनके उत्तर चिकित्सकऔर विज्ञानी ढूंढ रहे हैं। एक महत्वपूर्ण प्रश्न है नए वैरिएंट के खिलाफ अभी उपलब्ध कोरोनारोधी वैक्सीन की क्षमता को लेकर। पांच प्रश्नों और उनके उत्तर के जरिये समझिए ओमिक्रोन वैरिएंट आने के बाद वैक्सीन में क्या और कैसे बदलाव संभावित हैं:

आखिर क्यों होगी वैक्सीन को उन्नत करने की आवश्यकता : सर्वप्रथम यह समझना जरूरी है कि क्या वायरस के नए स्वरूप में इतना बदलाव हो गया है कि अभी उपलब्ध वैक्सीन के द्वारा उत्पन्न एंडीबाडी उसे पहचानकर रोकने में सक्षम नहीं रह गई हैं। दरअसल कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन के जरिये मानव शरीर में कोशिकाओं की सतह पर एसीई-2 रिसेप्टर्स के संपर्क में आकर उन्हें संक्रमित करता है। एमआरएनए (इससे कोशिकाओं को वायरस से लड़ने वाला प्रोटीन बनाने का निर्देश मिलता है) आधारित कोरोनारोधी वैक्सीन से शरीर में एंटीबाडी का निर्माण होता है। यह एंटीबाडी कोरोना संक्रमित व्यक्ति में वायरस के स्पाइक प्रोटीन बनाकर कोशिकाओं को प्रभावित करने की उसकी क्षमता कम कर देती हैं। ओमिक्रोन वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में म्यूटेशन के तरीके में बदलाव देखा गया है। यह बदलाव शरीर में वैक्सीन द्वारा बनाई गई कुछ एंटीबाडी (सभी नहीं) के स्पाइक प्रोटीन से जु़ड़कर उसे कमजोर करने की क्षमता कम कर सकता है। यदि ऐसा होता है तो ओमिक्रोन के खिलाफ अभी उपलब्ध वैक्सीन की क्षमता कम हो सकती है।

कैसे नई वैक्सीन पुरानी वाली से भिन्न हो सकती है : अभी उपलब्ध एमआरएनए वैक्सीन कोरोना वायरस के मूल स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन पर आधारित हैं। नई या उन्नत वैक्सीन को ओमिक्रोन के स्पाइक प्रोटीन पर आधारित करके बनाना होगा। वायरस के मूल स्पाइक प्रोटीन को नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन से बदलने पर नई या उन्नत वैक्सीन ओमिक्रोन के खिलाफ मजबूत एंटीबाडी बनाकर इसका प्रसार रोकने में सफल हो सकती है। वैक्सीन ले चुके या कोरोना से संक्रमित हो चुके लोग संभवत: नई वैक्सीन की एक बूस्टर डोज लेकर नए वैरिएंट व वातावरण में मौजूद अन्य वैरिएंट से खुद को सुरक्षित कर सकेंगे। अगर डेल्टा स्ट्रेन के मुकाबले ओमिक्रोन स्ट्रेन अधिक प्रबल हुआ तो अभी तक वैक्सीन न लेने वाले लोगों को दो-तीन डोज की आवश्यकता हो सकती है। यदि ओमिक्रोन और डेल्टा दोनों ही वैरिएंट मौजूद हैं तो लोगों को वर्तमान और उन्नत वैक्सीन के मिश्रण वाली डोज की जरूरत पड़ सकती है।

क्या उन्नत वैक्सीन को पूर्ण क्लीनिकल ट्रायल की आवश्यकता होती है : अभी यह स्पष्ट नहीं है कि उन्नत वैक्सीन के लिए सक्षम संस्था की स्वीकृति पाने को कितने क्लीनिकल डाटा की आवश्यकता होगी। हालांकि उन्नत वैक्सीन में जेनेटिक कोड में कुछ बदलाव को छोड़कर बाकी सभी तत्व पुराने ही होंगे। सुरक्षा के लिहाज से उन्नत वैक्सीन पहले से ही टेस्ट की जा चुकी वैक्सीन से मिलती जुलती ही होगी। इस कारण पहली बार कोरोना रोधी वैक्सीन बनाने की तुलना में अब कम क्लीनिकल ट्रायल की आवश्कता होगी। क्लीनिकल ट्रायल से अब केवल यह पता लगाने की जरूरत होगी कि क्या उन्नत वैक्सीन सुरक्षित होने के साथ मूल, बीटा व डेल्टा स्ट्रेन के केस की तरह ही एंटीबाडी बना रही है। यदि ऐसा है तो विज्ञानी कुछ सैकड़ा लोगों पर ही क्लीनिकल ट्रायल कर लेंगे।

कितना समय लगता है वैक्सीन को उन्नत करने में : नए एमआरएनए के निर्माण के लिए डीएनए टेम्पलेट बनाने में तीन दिन लगते हैं। एमआरएनए की पर्याप्त डोज बनाने में एक सप्ताह का समय लगता है। टेस्ट ट्यूब में मानव कोशिकाओं पर परीक्षण करने में छह सप्ताह लगते हैं। यानी 52 दिनों में उन्नत एमआरएनए वाली वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के लिए बनती है। क्लीनिकल ट्रायल के कुछ सप्ताह मिलाकर करीब सौ दिन में उन्नत वैक्सीन मानव ट्रायल के लिए तैयार होती है। ट्रायल के दौरान निर्माता उन्नत वैक्सीन के लिए अपनी वर्तमान निर्माण प्रक्रिया में बदलाव कर सकते हैं। ट्रायल पूर्ण होने और वैक्सीन को प्राधिकारियों की स्वीकृति मिलते ही कंपनी नई वैक्सीन की डोज बना सकती है।

कैसे वैक्सीन उन्नत की जाती है : उन्नत एमआरएनए वैक्सीन के लिए दो चीजों की आवश्यकता होती है-नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन का जेनेटिक सीक्वेंस और एमआरएनए बनाने के लिए डीएनए टेम्पलेट। चूंकि शोधकर्ताओं ने ओमिक्रोन के स्पाइक प्रोटीन का जेनेटिक कोड उपलब्ध करा दिया है, इसलिए अब स्पाइक प्रोटीन का डीएनए टेम्पलेट बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए विज्ञानी डीएनए टेम्पलेट को सिंथेटिक एंजाइम और चार आणविक ब्लाक के साथ मिलाते हैं जिससे एमआरएनए बनता है। एंजाइम से डीएनए की एमआरएनए प्रति बनती है, जिसे ट्रांसक्रिप्शन कहते हैं। इससे कुछ ही मिनटों में वैक्सीन के लिए एमआरएनए तैयार किया जा सकता है। फिर विज्ञानी एमआरएनए ट्रांसक्रिप्ट को फैटी नैनोपार्टिकल्स के भीतर रखते हैं जो मानव के हाथ में वैक्सीन लगाए जाने तक उसे सुरक्षित रखते हैं ताकि वह कारगर रहे।

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