कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के आने से फिर डर और बंधनों के बीच जीने की बढ़ती आशंका

विज्ञानियों का मानना है कि यह नया वैरिएंट भयावह संक्रमण की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा से भी ज्यादा संक्रामक है। तेजी से फैलने वाले इस वैरिएंट से बचाव और इसके विस्तार को रोकने के लिए जीवन में फिर सतर्कता और दिशा-निर्देशों के पालन की जरूरत है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 09:32 AM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 09:32 AM (IST)
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के आने से फिर डर और बंधनों के बीच जीने की बढ़ती आशंका
तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए हर नागरिक को इस संकट से मिलकर ही जूझना है। प्रतीकात्मक

डा. मोनिका शर्मा। बीते दो साल से कोविड-19 के वैश्विक संकट से जूझ रही दुनिया अब तीसरी लहर के खतरे की आशंका से घिरती जा रही है। पहली और दूसरी लहर में भारत समेत दुनिया के कई देश दर्दनाक स्थितियां झेल चुके हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण की वापसी की यह आहट चेताने वाली है। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित किया गया कोरोना का नया वैरिएंट ‘ओमिक्रोन’ फिर से जीवन सहेजने के मोर्चे पर मुश्किलें खड़ी करता दिख रहा है।

विज्ञानियों का भी मानना है कि यह नया वैरिएंट भयावह संक्रमण की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार डेल्टा से भी ज्यादा संक्रामक है। तेजी से फैलने वाले इस वैरिएंट से बचाव और इसके विस्तार को रोकने के लिए सहजता की पटरी पर लौटते जीवन में फिर सतर्कता और दिशा-निर्देशों के पालन की जरूरत है। फिर अपने पैर पसार रही इस जानलेवा परेशानी से लड़ने से लिए आमजन का सचेत रहना जरूरी है। कोविड-19 महामारी की पहली और दूसरी लहर की मुसीबत से जूझते हुए यह देखा-समझा गया है कि आमजन की समझ और सतर्कता ही इस आपदा को काबू में ला सकती है। हालांकि नए वैरिएंट को लेकर देश में सतर्कता बरती जा रही है। प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां भी शुरू हो गई हैं, पर बड़ी आबादी वाले हमारे देश में इस विपदा से लड़ने के लिए सामुदायिक सजगता ही सबसे मुफीद हथियार है।

चिंतनीय है कि बेहद खतरनाक बताए जा रहे नए वैरिएंट से संक्रमण तेजी से फैल सकता है। नतीजतन कोरोना वायरस के नए वैरिएंट से फैल रहे संक्रमण की जानकारी सामने आने के बाद पूरी दुनिया में बचाव के इंतजामों पर मुस्तैदी दिखाई जा रही है। फिलहाल दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और हांगकांग में कोविड के नए वैरिएंट के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यही वजह है कि कई देश अफ्रीकी देशों से आने वाली उड़ानों पर रोक भी लगा रहे हैं। नए मरीजों के सामने आने के बाद इजरायल ने सात अफ्रीकी देशों से आने-जाने पर रोक लगा दी है। वहीं ब्रिटेन ने भी छह अफ्रीकी देशों से आवाजाही पर पाबंदियां लगाई हैं। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भारत सहित कई अन्य देश भी प्रतिबंध लगाने के कदम उठाने की सोच रहे हैं।

भारत के संदर्भ में देखा जाए तो सरकार कई मोर्चो पर मुस्तैद है। संभावित तीसरी लहर के खतरे को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यों को सतर्कता बढ़ाने की हिदायत दी है। सभी राज्यों को हवाई अड्डों पर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की कड़ी जांच किए जाने और सतर्क रहने की सलाह देते हुए चिट्ठी लिखी है। विशेषकर सीधे दक्षिण अफ्रीका से आने वाले यात्रियों या दक्षिण अफ्रीका से होकर आने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखने और कोरोना जांच में गंभीरता बरते जाने के निर्देश दिए गए हैं। देश भर में टेस्ट और वैक्सीनेशन को फिर रफ्तार देने के प्रयास शुरू हो गए हैं।

गौरतलब है कि हमारे यहां अब तक कोविड रोधी टीके की 120 करोड़ से अधिक डोज दी जा चुकी हैं, लेकिन सामने आ रहा है कि नया वैरिएंट कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा विकसित रूप है। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट फार कम्युनिकेबल डिजीज के मुताबिक वहां सामने आ रहे कोरोना वायरस के नए-नए म्युटेशन वाकई खतरनाक हैं। साथ ही म्यूटेंट बनने का सिलसिला भी जारी है। चिंतनीय भी है कि यह वैरिएंट टीका ले चुके लोगों के लिए भी जान का जोखिम खड़ा कर सकता है। ऐसे में वैक्सीन के प्रभाव को खत्म करने में भी सक्षम माने जा रहे इस वैरिएंट के संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए आम लोगों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

विचारणीय है कि त्योहारी मौसम के बाद इन दिनों शादियों के माहौल में हर नागरिक को जिम्मेदार बनने की जरूरत है। फिर दस्तक दे रही आपदा की आशंका के बीच खुशियां मनाते हुए जिंदगी को जोखिम में डालने वाली गलतियों से बचना आवश्यक है। भीड़ जुटाने वाले शादी समारोहों से दूरी बनाना ही बेहतर है। लग रहा है कि वैश्विक महामारी के न्यू नार्मल वाले नियमों में बंधे रहना ही जीवन बचाने का रास्ता है। खुशियां बटोरते हुए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुसरण न केवल नए वैरिएंट से बचाव के लिए जरूरी है, बल्कि इसके विस्तार को भी रोक सकता है। ऐसे में जिंदगी बचाने वाले नियमों को ताक पर रखकर आयोजन करना वाकई एक बड़ी गलती साबित हो सकती है। तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए हर नागरिक को यह समझना होगा कि इस साझे संकट से मिलकर ही जूझना है।

हाल ही में इस संकट से उबरने की स्थितियां बनीं तो स्कूल खोलने से लेकर वैवाहिक आयोजनों में नियत संख्या से ज्यादा मेहमान बुला सकने जैसे कई फैसले किए गए। यह ढील जनता के जीवन को सहज बनाने के लिए ही थी। तकलीफदेह है अब फिर कठोर नियमों का अनुसरण करना आवश्यक हो गया है। जीवन सहेजने और इस संकट से उबरने के लिए यह जरूरी भी है। रेखांकित करने योग्य बात है कि कोरोना संकट की पहली और दूसरी लहर से जूझते हुए देश के नागरिकों ने टीका लगवाने से लेकर नियमों के पालन तक गंभीरता दिखाई है। जबकि कई विकसित देशों के नागरिक जीवन बचाने वाले प्रतिबंधों के खिलाफ भी आवाज उठाते रहे हैं। शिक्षित और सुविधासंपन्न माने जाने वाले पश्चिमी देशों में लोगों ने वैक्सीन लेने में भी कोताही की है। हमारे देश के नागरिकों ने न केवल अनगिनत समस्याओं का सामना करते हुए भी कोरोना रोधी टीके की खुराक ली, बल्कि कोरोना वारियर्स दूरदराज के इलाकों में हर संकट का सामना करते हुए लोगों को वैक्सीन लगाने पहुंचे। नागरिकों का यही जज्बा देश का साहस बना। तीसरी लहर के आसन्न खतरे को देखते हुए फिर सामुदायिक सजगता और जीवन सहेजने वाले साझे दायित्व बोध के भाव की दरकार है।

[सामाजिक मामलों की जानकार]

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