कमजोर प्रतिरक्षा वालों को वैक्सीन की 'अतिरिक्त' खुराक देने पर आज विचार करेगा NTAGI, बूस्टर से अलग होगी यह डोज

टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह की छह दिसंबर को होने एक बैठक होने वाली है जिसमें कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को कोविड-19 रोधी वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक देने के मुद्दे पर विचार-विमर्श होगा। जानें इस बैठक के बारे में सब कुछ...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 07:22 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 07:03 AM (IST)
कमजोर प्रतिरक्षा वालों को वैक्सीन की 'अतिरिक्त' खुराक देने पर आज विचार करेगा NTAGI, बूस्टर से अलग होगी यह डोज
कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को कोविड-19 रोधी वैक्सीन की 'अतिरिक्त' खुराक देने के मुद्दे पर सोमवार को एक बैठक होगी।

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। देश में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन की दस्‍तक के बीच कुछ विशेषज्ञों की ओर से कोविड रोधी वैक्‍सीन के बूस्‍टर डोज की जरूरत पर जोर दिया जाने लगा है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटागी) की सोमवार को होने वाली बैठक में कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को कोरोना रोधी टीके की अतिरिक्त डोज देने के मुद्दे पर विचार किया जाएगा। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी। अधिकारियों के मुताबिक, टीके की एक अतिरिक्त डोज बूस्टर डोज से अलग होती है।

कब दी जाती है बूस्‍टर डोज

बूस्टर डोज ऐसे किसी व्यक्ति को एक पूर्वनिर्धारित अवधि के बाद तब दी जाती है जब यह माना जाता है कि प्राथमिक टीकाकरण की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में कमी आ गई है। वहीं, अतिरिक्त डोज कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों को दी जाती है जब प्राथमिक टीकाकरण संक्रमण और रोग से पर्याप्त सुरक्षा प्रदान नहीं करता है।

एजेंडे में नहीं है बूस्‍टर डोज

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, 'अभी के लिए बूस्टर डोज का मुद्दा एजेंडा में नहीं है, क्योंकि इसकी आवश्यकता और महत्व का पता लगाने के लिए अध्ययन किए जा रहे हैं। छह दिसंबर को होने वाली एनटागी की बैठक में कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को कोरोना रोधी वैक्सीन की अतिरिक्त डोज देने के मुद्दे पर विचार किया जाएगा।'

गंभीर रोग से ग्रस्त लोग कम प्रतिरक्षा वाले श्रेणी में

ऐसी श्रेणी में कैंसर का इलाज कराने वाले रोगी, प्रत्यारोपण करा चुके रोगी, एड्स रोगी आदि आते हैं और उनकी प्रतिरक्षा में सुधार के लिए टीके की अतिरिक्त डोज (तीसरी डोज) की आवश्यकता होती है।

टीकाकरण ही बचाव का सबसे बेहतर उपाय

विशेषज्ञों ने कहा कि ओमिक्रोन जैसे नए वैरिएंट के उभरने के बावजूद, टीकाकरण बीमारी और संक्रमण से सुरक्षा के सबसे मजबूत तरीकों में से एक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि मौजूदा टीके ओमिक्रोन वैरिएंट पर काम नहीं करते हैं, हालांकि सामने आए कुछ म्युटेशन टीके के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

इंसाकाग ने कही थी यह बात

हाल ही में सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआईआई) ने ड्रग रेगुलेटर से कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ बूस्टर डोज के रूप में कोविशील्ड को दिए जाने की मंजूरी मांगी थी। यही नहीं 29 नवंबर के अपने बुलेटिन में भारतीय SARS-CoV-2 कंसोर्टियम आन जीनोमिक्स यानी इंसाकाग (INSACOG) ने उच्च जोखिम के क्षेत्रों में आने वाले 40 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्राथमिकता के साथ COVID-19 टीकों की बूस्टर खुराक की सिफारिश की थी।

स्वास्थ्य मंत्री ने कही थी यह बात

यही नहीं बीते शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा था कि देशवासियों को कोविड रोधी वैक्‍सीन की बूस्टर या तीसरी अतिरिक्त खुराक देने और 18 साल से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण पर फैसला वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर लिया जाएगा। उन्‍होंने बताया था कि देश के वैज्ञानिक इस मुद्दे पर गहन विचार कर रहे हैं। वैज्ञानिक और विशेषज्ञ जैसा तय करेंगे उनकी सिफारिश के आधार पर ही सरकार आगे कदम बढ़ाएगी। देश के वैज्ञानिकों ने महामारी की समस्‍या पर पहले भी अपनी क्षमता साबित की है।

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