ASI Protected Temple: अब पूजा पाठ के लिए खुलेंगे ASI संरक्षित मंदिर, 1958 के कानून में किया जा सकता है संशोधन

ASI Protected Temple संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एएसआइ संरक्षण में बंद पड़े मंदिरों की स्थिति अलग-अलग है। कई मंदिरों में मूर्तियां खंडित अवस्था में हैं तो कई जगह मूर्तियां हैं ही नहीं। हिंदू शासकों के किलों में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 21 May 2022 07:35 PM (IST) Updated:Sun, 22 May 2022 08:34 AM (IST)
ASI Protected Temple: अब पूजा पाठ के लिए खुलेंगे ASI संरक्षित मंदिर, 1958 के कानून में किया जा सकता है संशोधन
भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन हैं करीब एक हजार पूजा स्थल

नीलू रंजन, नई दिल्ली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में आने वाले बंद मंदिरों में धार्मिक गतिविधियां शुरू करने की मंजूरी मिल सकती है। ऐसे मंदिरों में पूजा-पाठ की अनुमति देने के लिए 1958 के कानून में संशोधन किया जा सकता है। सरकार शीतकालीन सत्र में इससे संबंधित संशोधन विधेयक पेश कर सकती है। इसके पीछे सोच यह है कि इससे इन मंदिरों का रख-रखाव आसान होगा।

उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस समय देश में एएसआइ के संरक्षण में लगभग 3,800 धरोहर हैं। इनमें एक हजार से अधिक मंदिर हैं। इनमें से केरल के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर और उत्तराखंड के जागेश्वर धाम जैसे बहुत कम मंदिर हैं, जहां पूजा-अर्चना होती है। अधिकतर मंदिर बंद पड़े हुए हैं और उनमें किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि प्रतिबंधित हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर स्थित मार्तड मंदिर जैसे बहुत सारे ऐसे मंदिर भी हैं, जिनके खंडहर के रूप में अवशेष ही बचे हैं। पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के मार्तड मंदिर में पूजा करने पर एएसआइ ने स्थानीय प्रशासन को पत्र लिखकर कड़ा एतराज जताया था।

मंदिर संरक्षित कानून का मकसद पूरा नहीं हो रहा

दरअसल, प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 में संरक्षित मंदिरों में धार्मिक गतिविधियों की अनुमति नहीं है। संस्कृति मंत्रालय, जिसके तहत एएसआइ आता है, के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मंदिर को संरक्षित करने के जिस उद्देश्य से यह कानून लाया गया था, वह पूरा नहीं हो रहा है। उल्टे लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित होने के कारण मंदिरों की स्थिति खराब हो रही है।

एएसआइ के पास रखरखाव के लिए पर्याप्त कर्मचारी नहीं

अधिकारी ने कहा कि एएसआइ ने इन मंदिरों को संरक्षित तो कर लिया है, लेकिन उनकी देखभाल के लिए उसके पास उतने कर्मचारी भी नहीं हैं। कई मंदिरों की तो साल में एक बार साफ-सफाई की जाती है, बाकी पूरे समय उनमें ताले जड़े रहते हैं। पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने से न सिर्फ उन स्थानों की देखरेख सुनिश्चित हो सकेगी, बल्कि इनके संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों का जुड़ाव भी बढ़ेगा।

कई जगह मंदिर के नाम पर खंडहर ही बचे

संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एएसआइ संरक्षण में बंद पड़े मंदिरों की स्थिति अलग-अलग है। कई मंदिरों में मूर्तियां खंडित अवस्था में हैं तो कई जगह मूर्तियां हैं ही नहीं। हिंदू शासकों के किलों में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं। वहीं, कई जगहों पर मंदिर के नाम पर सिर्फ खंडहर बचे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी मंदिरों को वर्गीकृत किया जा रहा है। जिन मंदिरों में मूर्तियां सही-सलामत हैं और भवन की स्थिति भी ठीक है, वहां तत्काल पूजा-पाठ की इजाजत दी जा सकती है।

खंडित मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां स्थापित की जाएंगी

अधिकारी ने बताया कि खंडित मूर्तियों वाले मंदिरों में प्राण-प्रतिष्ठा कर नई मूर्तियों को स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा खंडहर में तब्दील मंदिरों के पुनर्निर्माण की भी इजाजत मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम शुरू हो गया है और सरकार की कोशिश जल्द से जल्द इन मंदिरों को फिर से धार्मिक गतिविधियों के लिए खोलने की है।

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