पेगासस साफ्टवेयर को लेकर भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी मच चुका है बवाल
पेगासस को लेकर जो हंगामा भारत में दिखाई दे रहा है वही दुनिया के कुछ दूसरे मुल्कों में भी देखा गया है। भारत के अलावा कुछ और देश भी इस साफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। इसके जरिए सरकारों ने अपने यहां पर कई लोगों की निगरानी की है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पेगासस जासूसी कांड का मामला भले ही एक्सपर्ट कमेटी को सौंप दिया गया हो लेकिन इससे राजनीतिक हलचल पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। विपक्ष लगातार सरकार पर इस मामले को लेकर आरोप लगा रहा है। आपको बता दें कि पेगासस साफ्टवेयर के जरिए कई तरह की जानकारी को हासिल किया जा सकता है। भारत में ही इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है बल्कि दुनिया के कई देश इजरायल के इस साफ्टवेयर का इस्मेताल करते हैं। इसमें यूएई, बहरीन, मोरक्को, सऊदी अरब का नाम शामिल है। इसको इजरायल की साइबरआर्म्स फर्म एनएसओ ग्रुप ने डेवलेप किया है।
येसाफ्टवेयर टेस्ट मैसेज को पढ़ने के अलावा काल ट्रैक करने, पासवर्ड का पता लगाने में भी सहायक है। पेगासस को अगस्त 2016 में डेवलेप किया गया था। इजरायली अखबार हर्त्ज के मुताबिक अगस्त 2020 में इसको संयुक्त अरब अमीरात को बेचा गया था। यूएई ने इसका इस्तेमाल यमनी सरकार के मंत्रियों पर निगाह रखने के लिए किया था। इसमें यमन के राष्ट्रपति से लेकर उनके परिवार वाले, पूर्व पीएम, पूर्व विदेश मंत्री भी शामिल थे। 24 सितंबर 2021 को गार्जियन ने खबर प्रकाशित कर बताया था कि एएलक्यूएसटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की भी निगरानी इस साफ्टवेयर के जरिए की गई थी। यूएई में भी इस साफ्टवेयर के उपयोग को लेकर काफी हंगामा मचा था।
इस साफ्टवेयर को लेकर जिस तरह का खुलासा भारत के लिए हुआ था, ठीक उसी तरह का खुलना कनाडा सिटीजन लैब ने बहरीन सरकार को लेकर किया थ। इसमें कहा गया था कि बहरीन की सरकार इसके जरिए एक्टिविस्ट, बहरीनी पालिटिकल सोसायटी के सदस्यों, अल वफाक के सदस्यों और बहरीन सेंटर फार ह्यूमन राइट्स के सदस्यों की निगरानी कर रही है। बता दें कि बहरीन ने इस साफ्टवेयर को 2017 में खरीदा था। जून 2020-फरवरी 2021 के बीच करीब नौ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कई नेताओं को भी निगरानी के दायरे में रख गया था।
मोरक्को में जुलाई 2021 में करीब छह हजार मोरक्को नागरिकों के फोन की निगरानी की गई थी। इसमें वहां के नेता और सेना के शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे। इसी तरह से सऊदी अरब में भी इस साफ्टवेयर को लेकर सवाल उठे थे। बताया जाता है कि इसके जरिए ही सऊदी अरब ने जमाल खाशोगी के बारे में जानकारी हासिल की गई थी। खाशोगी की तुर्की में हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा इसका इस्तेमाल जैफ बेजोस, सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की निगरानी को भी किया गया था।