भारत में अब कोरोना वैक्सीन की नहीं होगी कमी- मॉडर्ना, फाइजर और जानसन एंड जानसन के लिए खुले दरवाजे

सरकार के इस फैसले के बाद अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना फाइजर और जानसन एंड जानसन जैसी कंपनियां विदेश में विकसित वैक्सीन का भारत में निर्यात कर सकेंगी और साथ ही भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर यहीं उनका उत्पादन भी कर सकेंगी।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 07:29 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 07:29 AM (IST)
भारत में अब कोरोना वैक्सीन की नहीं होगी कमी- मॉडर्ना, फाइजर और जानसन एंड जानसन के लिए खुले दरवाजे
मॉडर्ना, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन के टीकों के भारत में उपयोग का रास्ता भी साफ

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में अब कोरोना रोधी वैक्सीन की कमी नहीं रहेगी। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने कोरोना की सभी विदेशी वैक्सीन के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। विदेशी वैक्सीन को इस्तेमाल के पहले ब्रीज ट्रायल की शर्त से भी छूट दे दी गई है। सरकार के इस फैसले के बाद अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना, फाइजर और जानसन एंड जानसन जैसी कंपनियां विदेश में विकसित वैक्सीन का भारत में निर्यात कर सकेंगी और साथ ही भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर यहीं उनका उत्पादन भी कर सकेंगी।

नीति आयोग के सदस्य और वैक्सीन पर बने राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनएजी) के अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल ने साफ किया कि ब्रीज ट्रायल में छूट सिर्फ कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए दी गई है। इसके बाद भी वैक्सीन के प्रभाव और गुणवत्ता सुनिश्चित करने में कोई कमी नहीं होगी। उनके अनुसार विदेश में विकसित और निर्मित किसी भी वैक्सीन के भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत तभी दी जाएगी, जबकि उसे अमेरिकी, ब्रिटिश, यूरोपीय और जापानी नियामकों में से किसी एक से इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिल चुकी हो। इनके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन से जिस वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत होगी, उसका भी भारत में इस्तेमाल किया जा सकेगा।

डॉ. पॉल ने कहा कि नई छूट मिलने के बाद फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन समेत कोई भी कंपनी विदेशों में बनी अपनी वैक्सीन का भारत में निर्यात कर सकती है और टीकाकरण में तत्काल इसका इस्तेमाल भी शुरू हो जाएगा। लेकिन इनके दुष्प्रभावों को परखने के लिए शुरुआत में वैक्सीन लेने वाले 100 लोगों पर एक हफ्ते तक लगातार नजर रखी जाएगी।

डॉ. रेड्डीज से बातचीत जल्द

स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी आम लोगों के लिए अप्रैल के अंत या मई के शुरू में उपलब्ध हो जाएगी। इसकी कीमत और सप्लाई को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय और डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज और रसियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (आरडीईएफ) के बीच जल्द ही बातचीत शुरू होगी।

कीमत और सप्लाई पर फंस सकता है पेच

स्पुतनिक-वी की कीमत और सप्लाई को लेकर समस्या आ सकती है। स्पुतनिक-वी की कीमत लगभग 700 रुपये प्रति डोज है, जबकि भारत सरकार कोवैक्सीन और कोविशील्ड 150 रुपये प्रति डोज की दर से खरीद रही है। शुरू में विदेश से सप्लाई होने के कारण इसकी कीमत ज्यादा हो सकती है, आरडीईएफ ने भारत में इसके सालाना 85 करोड़ डोज बनाने के लिए पहले ही तीन स्थानीय कंपनियों के साथ करार किया है। माना जा रहा है कि जून से भारत में बनी स्पुतनिक-वी का बड़े पैमाने पर सप्लाई शुरू हो जाएगा और उसकी कीमत भी नीचे आ जाएगी।

कोविशील्ड-कोवैक्सीन से अलग है स्पुतनिक-वी

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार स्पुतनिक-वी वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन की तुलना में थोड़ी अलग भी होगी। कोविशील्ड और कोवैक्सीन में एक ही वैक्सीन की दो डोज चार से आठ हफ्ते के बीच दिया जाता है। वहीं स्पुतनिक-वी की दोनों डोज की वैक्सीन अलग-अलग वैक्सीन है और उन्हें तीन हफ्ते यानी 21 दिन के अंदर लेना होता है। पहली और दूसरी डोज में लगने वाली वैक्सीन भी तय है और उनमें अदला-बदली नहीं हो सकती है।

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