आतंक पर पाकिस्तान को ना मिले राहत, ब्लिंकन को समझाएंगे जयशंकर, भारत आ रहे हैं अमेरिकी विदेश मंत्री

भारत एंटनी ब्लिंकन के सामने सुबूत समेत यह बात रखेगा कि आतंकवाद की फंडिंग व सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान की तरफ से दिए जा रहे बढ़ावे को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को कोई नरमी नहीं दिखानी चाहिए ।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 09:09 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:27 AM (IST)
आतंक पर पाकिस्तान को ना मिले राहत, ब्लिंकन को समझाएंगे जयशंकर, भारत आ रहे हैं अमेरिकी विदेश मंत्री
मंगलवार को नई दिल्ली पहुंचेंगे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कई मोर्चों पर फंसे रहने के बावजूद जो बाइडन प्रशासन भारत के साथ अपने रिश्तों की अहमियत को लेकर पूरी तरह से सतर्क है। इस हफ्ते विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का भारत दौरा इस बात का प्रमाण है कि दोनों देशों के बीच शीर्ष स्तर पर लगातार संपर्क बने रहने की जो सहमति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में बनी थी वह अब भी जारी है। इधर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और ब्लिंकन के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक का एजेंडा तैयार कर लिया है। इसमें कोरोना महामारी के खिलाफ सहयोग बढ़ाने और हिंद-प्रशांत जैसे क्षेत्र की रणनीति को लेकर और स्पष्टता लाने जैसे मुद्दे प्रमुखता से उठेंगे। भारत की तरफ से अफगानिस्तान के मौजूदा हालात और आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रवैये में किसी तरह का बदलाव नहीं आने का मुद्दा भी उठाया जाएगा। अमेरिकी विदेश मंत्री मंगलवार को नई दिल्ली पहुंचेंगे।

भारत ब्लिंकन के सामने सुबूत समेत यह बात रखेगा कि आतंकवाद की फंडिंग व सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान की तरफ से दिए जा रहे बढ़ावे को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को कोई नरमी नहीं दिखानी चाहिए। पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को ब्लिंकन के समक्ष रखने की भारतीय विदेश मंत्री की तरफ से यह पहली कोशिश होगी। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ अगस्त की शुरुआत में अमेरिका जा रहे हैं। अफगानिस्तान से सेना बुलाने के बाद अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान उसे कुछ सैन्य ठिकाने उपलब्ध कराए। पाकिस्तान इस मदद की आड़ में अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों में राहत की उम्मीद लगाए है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति, अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी के बाद हालात और आतंकवाद को लेकर पाकिस्तानी मदद का मुद्दा हमारे एजेंडे में है।

क्वाड सहयोग का मुद्दा भी उठेगा प्रमुखता से

सूत्रों का कहना है कि बैठक के दौरान क्वाड सहयोग का मुद्दा काफी प्रमुखता से उठेगा। इस वर्ष के अंत में क्वाड के चारों देशों के विदेश मंत्रियों की दूसरी बैठक होनी है। साथ ही शीर्ष नेताओं के बीच बैठक में क्वाड के तहत कोरोना वैक्सीन अभियान को लेकर जो फैसला हुआ था, उसे भी आगे बढ़ाने को लेकर बात होगी। वर्ष 2022 से क्वाड देशों ने प्रशांत क्षेत्र के देशों में वैक्सीनेशन का फैसला किया है। इसके लिए अमेरिकी कंपनी की तरफ से तैयार वैक्सीन का निर्माण भारत में किया जाना है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक मंदी के असर और यहां आर्थिक विकास को तेज करने व यहां की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी उठेंगे। सनद रहे कि हिद प्रशांत क्षेत्र में सहयोग भारत व अमेरिका के रिश्तों को प्रगाढ़ करने में सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं। दोनों देशों के बीच कोरोना के बाद की वैश्विक व्यवस्था में इंडस्टि्रयल सप्लाई चेन को लेकर भी बात हो रही है। माना जा रहा है कि दोनों देशों के विदेश मंत्री इस बारे में भावी रणनीति को ठोस आकार देने पर विमर्श करेंगे। इसकी शुरुआत हेल्थ सेक्टर में सप्लाई चेन में आपसी सामंजस्य स्थापित कर की जा सकती है।

अमेरिका के बीच होने वाली टू प्लस टू वार्ता की जमीन भी तैयार करेगी ब्लिकंन की यह यात्रा

ब्लिंकन की यह यात्रा भारत व अमेरिका के बीच होने वाली अगली टू प्लस टू वार्ता की जमीन भी तैयार करेगी। इस वार्ता में दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्री शामिल होते हैं। बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद अभी इस व्यवस्था के तहत कोई बैठक नहीं हुई है। हालांकि माना जा रहा है कि अमेरिका के रक्षा मंत्री भी जल्द ही भारत की यात्रा पर आ सकते हैं। वैसे अप्रैल 2021 में उन्होंने यात्रा की थी। ब्लिंकन के साथ जयशंकर दोनों देशों के बीच सामान्य उड़ानों के बंद होने और इससे दोनों देशों की जनता को हो रही दिक्कतों के बारे में भी बात करेंगे। सूत्रों का कहना है कि अब जबकि दोनों देशों में कोरोना की स्थिति काफी नियंत्रण में है तो छात्रों, कारोबारियों, पेशेवरों आदि के आने-जाने को लेकर ज्यादा आजादी होनी चाहिए।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की तरफ से भारत के साथ मानवाधिकार से जुड़े मुद्दे उठाने के बयान पर सूत्रों का कहना है कि मानवाधिकार और लोकतंत्र एक वैश्विक मुद्दा है, जो किसी एक देश या क्षेत्र से जुड़ा हुआ नहीं है। इन दोनों मामलों में भारत ने जो प्रगति की है, उस पर वह गर्व करता है। भारत दूसरे देशों के साथ भी अपने इस अनुभव को साझा कर रहा है। भारत इस बारे में किसी भी पक्ष से खुले दिल से बात करने को तैयार है।

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