Airborne Coronavirus: हवा में अस्थायी है वायरस, पैनिक होने की जरूरत नहीं; लंबे समय तक पहनें मास्क

हवा में घातक कोरोना वायरस के फैलने को लेकर लोगों की चिताएं बढ़नी स्वभाविक है। हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि इसपर पैनिक होने की जरूरत नहीं है केवल मास्क को लंबे समय तक पहनना होगाा

By Monika MinalEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 03:39 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 03:39 PM (IST)
Airborne Coronavirus: हवा में अस्थायी है वायरस, पैनिक होने की जरूरत नहीं; लंबे समय तक पहनें मास्क
Airborne Coronavirus: हवा में अस्थायी है वायरस, पैनिक होने की जरूरत नहीं; लंबे समय तक पहनें मास्क

हैदराबाद, प्रेट्र। हवा और वातावरण में नॉवेल कोरोना वायरस के फैलने की जानकारी देने वाले शोध से लोगों की पेशानी पर चिंता की रेखाएं और गहरी हो गई हैं लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि इन शोधों से घबराने की जरूरत नहीं है। 200 से अधिक वैज्ञानिकों के समूह द्वारा उद्धृत अध्ययन केवल यह बताता है कि यह हवा में अस्थायी तौर पर मौजूद रह सकता है इसका अर्थ यह नहीं है कि यह वायरस हर जगह मौजूद है।   चिंता के बजाए  लोगों को एहतियात बरतने की सलाह देते हुए सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि अब मास्क को अधिक समय तक पहनना होगा। साथ ही पहले से  ले रहे सावधानियों को भी बरकरार रखना होगा। 

छोटे ड्रॉपलेट से हवा में रह सकता है वायरस 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)  को 239 वैज्ञानिकों  द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया कि ऐसे सबूत मौजूद हैं जिसमें पता चलता है कि कोरोना वायरस हवा में  है। दो शोध पत्रों का हवाला देते हुए बताया गया कि ये सभी अच्छे स्टडीज हैं। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि वायरस अस्थायी तौर पर हवा में है जो 5 माइक्रोन   ( micron)  से छोटे आकार वाले ड्रॉपलेट में यह ट्रैवल कर सकता है और ये ड्रॉपलेट बड़े आकार वाले ड्रॉपलेट की तुलना में अधिक समय तक हवा में तैरते रहते हैं।  इसका स्पष्ट अर्थ है कि जब कोई व्यक्ति बोलता या सांस लेता है तो कुछ ड्रॉपलेट हवा में रिलीज होते हैं और कुछ समय तक बने रहते हैं इसलिए लोगों को लंबे समय तक मास्क पहनना जरूरी है। 

न्यूयार्क में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने WHO को बताया है कि वायरस अस्थायी तौर पर हवा में तैरते हुए रह सकता है। साथ ही वैज्ञानिकों ने  WHO को अपने सुझाावों में संशोधन की अपील की। शुरुआत में WHO ने कहा था कि खांसी और छींक के जरिए यह संक्रमण फैलता है। 

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