मेडिकल शिक्षा में नए युग का सूत्रपात, एनएमसी गठित, 64 साल पुराना एमसीआइ खत्म, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स भंग
देश के मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में नए युग का सूत्रपात हो गया है। पिछले 64 सालों से मेडिकल शिक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहा मेडिकल कमीशन ऑफ इंडिया पूरी तरह खत्म हो गया है। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स भी भंग।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में नए युग का सूत्रपात हो गया है। पिछले 64 सालों से मेडिकल शिक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहा मेडिकल कमीशन ऑफ इंडिया पूरी तरह खत्म हो गया है। उसकी जगह नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) का गठन किया गया है, जिसने शुक्रवार से काम करना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही मेडिकल शिक्षा के विभिन्न आयामों की नियमन करने वाले चार स्वायत्त बोर्ड का भी गठन कर दिया है।
दिल्ली एम्स के ईएनटी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश चंद्र शर्मा बने एनएमसी के पहले अध्यक्ष
गुरूवार को देर रात एमसीआइ और उसकी निगरानी के गठित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को खत्म करने और एनएमसी और स्वायत्तशासी बोर्डो के गठन की अधिसूचना जारी की गई। दिल्ली एम्स के ईएनटी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डाक्टर सुरेश चंद्र शर्मा को एनएमसी का पहला अध्यक्ष बनाया गया है। वे तीन साल तक अध्यक्ष रहेंगे। इसके अलावा निरस्त एमसीआइ के बोर्ड ऑफ गवनर्स के महासचिव राकेश कुमार वत्स को एनएमसी का सचिव बनाया गया है। देश में मेडिकल कॉलेजों की मान्यता और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी एनएमसी संभालेगा।
भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा 64 साल पुराना एमसीआइ खत्म
ध्यान देने की बात है कि 1956 में गठित एमसीआइ पिछले कुछ दशकों से भ्रष्टाचार के संगीन आरोपों में घिर गया था। देश की जरूरत के मुताबिक मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने के बजाय एमसीआइ को उसकी राह में सबसे बड़ी रूकावट माना जाने लगा था। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एमसीआइ के कामकाज की निगरानी के लिए ओवरसाइट कमेटी का गठन किया था, लेकिन एमसीआइ का सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए ओवरसाइट कमेटी ने इस्तीफा दे दिया था।
2018 में एमसीआइ को निलंबित कर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन हुआ था
एमसीआइ के अडि़यल रवैये को देखते हुए सरकार ने सितंबर 2018 में एमसीआइ के निलंबित करते हुए उसकी जगह बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन किया था। जिसे एनएमसी बनने तक मेडिकल शिक्षा के नियमन की जिम्मेदारी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को सौंपी गई थी। जाहिर है एनएमसी के गठन के साथ ही वह स्वत: भंग हो गया। वहीं संसद ने पिछले साल सितंबर में ही एमसीआइ की जगह लेने के लिए एनएमसी विधेयक को पास कर दिया था। अब कानून बनने के एक साल बाद एनएमसी का गठन किया गया है।
नए एनएमसी को देखने के लिए चार स्वायत्त बोर्डो का गठन किया गया
नए एनएमसी को ढांचे में मेडिकल शिक्षा के विभिन्न आयामों को देखने के लिए अलग-अलग चार स्वायत्त बोर्डो का गठन किया गया है। स्नातक और पीजी की मेडिकल शिक्षा की निगरानी की जिम्मेदारी अलग-अलग बोर्ड में बांटा गया है। इसी तरह मूल्यांकन व रेटिंग और आचार व पंजीकरण के काम देखने के लिए भी अलग-अलग बोर्ड बनाए गए हैं। इन चारों बोर्ड के सदस्यों को एनएमसी का पदेन सदस्य बनाया गया है। इसका उद्देश्य किसी एक व्यक्ति के पास शक्ति के केंद्रीकरण को रोकना है, ताकि एमसीआइ की तरह भ्रष्टाचार को जड़ जमाने से रोका जा सके।