नीति आयोग ने जारी किया लैंड टाइटल का मसौदा, भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान बनाना है मकसद

इसका मकसद कानूनी विवादों में कमी लाना और इन्फ्रा परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान बनाना। इस मॉडल कानून का मकसद जमीन से संबंधित कानूनी विवादों का समाधान करना तथा ढांचागत परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण में भी सुधार लाना है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 07:54 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 07:54 AM (IST)
नीति आयोग ने जारी किया लैंड टाइटल का मसौदा, भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान बनाना है मकसद
नीति आयोग ने मॉडल कानून का मसौदा जारी किया।

नई दिल्ली, प्रेट्र। नीति आयोग ने राज्यों के लिए जमीन के मालिकाना हक के संदर्भ में मॉडल कानून का मसौदा जारी किया है। इसका मकसद कानूनी विवादों में कमी लाना और इन्फ्रा परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को आसान बनाना है। मॉडल कानून और उससे संबंधित नियम राज्य सरकारों को अचल संपत्ति के मालिकाना हक के पंजीकरण की व्यवस्था स्थापित करने और उसके प्रशासन व प्रबंधन का अधिकार देगा।इस मॉडल कानून का मकसद जमीन से संबंधित कानूनी विवादों का समाधान करना तथा ढांचागत परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण में भी सुधार लाना है।

इसके तहत भूमि विवाद समाधान अधिकारी तथा लैंड टाइटल अपीलेट ट्रिब्यूनल का प्रावधान है जो सभी विवादों को समाप्त कर देगा। भूमि पर अंतिम रूप से मालिकाना हक की गारंटी राज्य सरकारें देंगी और अगर कोई विवाद होता है तो क्षतिपूíत का प्रावधान होगा।कानून के मसौदे के अनुसार धारा 11 के तहत मालिकाना हक के बारे में रिकॉर्ड को लेकर कोई व्यक्ति संतुष्ट नहीं है तो वह संबंधित पंजीकरण अधिकारी के पास अपनी आपित्ति जता सकता है। 

आपत्ति अधिसूचना की तारीख से तीन वर्षो के भीतर दी जा सकती है। उसके बाद, पंजीकरण अधिकारी जरूरी कदम उठाते हुए मामले को भूमि विवाद समाधान अधिकारी के पास भेजेगा। अगर व्यक्ति भूमि विवाद समाधान अधिकारी के आदेश से संतुष्ट नहीं है तो वह अपीलेट ट्रिब्यूनल के पास जाकर आदेश आने के 30 दिनों के भीतर मामला दर्ज करा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि उच्च न्यायालय की विशेष पीठ का निर्धारण किया जाएगा जो अपीलीय न्याधिकरणों के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई करेगी।

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