नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र बोले, विरोध कर रहे किसानों ने नए कानूनों को नहीं समझा

कांट्रैक्ट फार्मिग पर चिंताओं को लेकर नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने कहा कि कई राज्यों में कांट्रैक्ट फार्मिग हो रही है और आज तक एक भी मामला ऐसा नहीं आया है कि किसी निजी कंपनी ने किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Sun, 29 Nov 2020 10:53 PM (IST) Updated:Sun, 29 Nov 2020 10:53 PM (IST)
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र बोले, विरोध कर रहे किसानों ने नए कानूनों को नहीं समझा
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र की फाइल फोटो

नई दिल्ली, प्रेट्र। नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद (Ramesh Chandra) का कहना है कि विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने नए कृषि कानूनों को पूरी तरह समझा नहीं है। नए कानूनों में कृषि आय बढ़ाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि विरोध कर रहे किसान जो कह रहे हैं, इन कानूनों का लक्ष्य उसके पूरी तरह विपरीत है।

एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, 'मैंने खबरों में जो पढ़ा है, उससे लगता है कि विरोध करने वालों ने तीनों कानूनों को समझा नहीं है। अगर इन कानूनों को लागू किया जाए तो किसानों की आय बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी। कुछ राज्यों में आय दोगुनी तक हो सकती है।' रमेश चंद ने बिंदुवार तरीके से नए कानूनों को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों का खंडन किया।

प्याज निर्यात पर लगने वाले प्रतिबंधों पर भी रखा विचार 

उन्होंने कांट्रैक्ट फार्मिग पर चिंताओं को लेकर कहा, 'कई राज्यों में कांट्रैक्ट फार्मिग हो रही है और आज तक एक भी मामला ऐसा नहीं आया है कि किसी निजी कंपनी ने किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया।' नीति आयोग के सदस्य ने प्याज निर्यात पर लगने वाले प्रतिबंधों पर भी विचार रखा।

उन्होंने कहा, 'हम प्याज की कीमतें 100 रुपये किलो नहीं जाने दे सकते, वह भी ऐसे समय में जबकि किसान प्याज नहीं बेच रहे हैं। बाजार में 60 से 70 फीसद प्याज अप्रैल-मई में आ जाती है। इसलिए निर्यात रोककर सरकार प्याज उत्पादकों के लिए कुछ बहुत बुरा नहीं कर रही है। वैसे भी ऐसा प्रतिबंध कुछ विशेष परिस्थितियों में ही लगाया जाता है।'

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