विशाखापत्तनम जासूसी प्रकरण में आतंकी फंडिंग का साजिशकर्ता गिरफ्तार, एनआइए की कार्रवाई
एनआइए ने विशाखापत्तनम जासूसी प्रकरण में आतंकी फंडिंग के एक साजिशकर्ता अब्दुल रहमान अब्दुल जब्बार शेख को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। विशाखापत्तनम जासूसी प्रकरण में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने शनिवार को आतंकी फंडिंग के एक साजिशकर्ता अब्दुल रहमान अब्दुल जब्बार शेख को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया। इस प्रकरण में 11 नौसेना कर्मियों ने पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आइएसआइ को कथित रूप से संवेदनशील जानकारी लीक की थी। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि 53 वर्षीय शेख मुंबई का निवासी है और वह अपनी गिरफ्तार पत्नी शाइस्ता कैसर और अन्य के साथ आतंकी फंडिंग में लिप्त था।
रिपोर्ट के मुताबिक, अब्दुल रहमान अब्दुल जब्बार शेख के घर की तलाशी के दौरान एनआइए ने कई डिजिटल उपकरण और आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए थे। एनआइए ने पिछले साल 29 दिसंबर को इस मामले की जांच संभाली थी। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पिछले साल दिसंबर में ही पाकिस्तान से जुड़े जासूसी रैकेट का पर्दाफाश किया था।
एनआइए ने इस साल 15 मई को मुंबई निवासी मुहम्मद हारून हाजी अब्दुल रहमान लकड़ावाला को भी मुंबई से गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान पता चला कि वह मामले के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक था। शेख की गिरफ्तारी के बाद अब तक इस मामले में कुल 15 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें 11 नौसेना कर्मी, पाकिस्तान में जन्मी भारतीय नागरिक कैसर और अन्य शामिल हैं।
एनआइए ने पिछले महीने बताया था, 'जांच में पता चला कि कुछ नौसेना कर्मी फेसबुक और वाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिये पाकिस्तानी नागरिकों के संपर्क में आए। वे मौद्रिक लाभ के बदले गोपनीय जानकारियां साझा करने में शामिल थे। रकम ऐसे भारतीय सहयोगियों के जरिये नौसेना कर्मियों के बैंक खातों में जमा की गई थी जिनके पाकिस्तान में कारोबारी हित हैं।'
मालूम हो कि यह मामला अंतरराष्ट्रीय रैकेट से जुड़ा है जिसमें पाकिस्तान निवासी और विशाखापत्तनम व मुंबई समेत भारत निवासी लोग शामिल हैं। इसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी द्वारा 2011 से 2019 के बीच भर्ती किए गए एजेंट शामिल हैं। वे भारतीय नौसैनिक जहाजों और पनडुब्बियों की स्थिति या मूवमेंट के अलावा अन्य रक्षा प्रतिष्ठानों के बारे में संवेदनशील और गोपनीय जानकारियां जुटा रहे थे। नौसेना खुफिया इकाई, केंद्रीय एजेंसियों और आंध्र प्रदेश खुफिया शाखा ने संयुक्त अभियान 'डॉल्फिन नोज' के तहत इस रैकेट का पर्दाफाश किया था।