NHRC का किसान आंदोलन पर केंद्र और दिल्ली को स्मरण पत्र
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने हाल में ही केंद्र सरकार के गृह कृषि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिवों और दिल्ली हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को स्मरण पत्र जारी किया है। पढ़ें इससे संबंधित सभी जरूरी जानकारी।
नई दिल्ली, एएनआइ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने हाल में ही केंद्र सरकार के गृह, कृषि, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिवों और दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को स्मरण पत्र जारी किया है। इन सरकारों द्वारा किसानों के मुद्दे सुलझाने के लिए उठाए गए कदमों और सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बार्डर स्थित प्रदर्शन स्थलों पर कोरोना दिशा-निर्देशों का पालन करने को लेकर यह स्मरण पत्र जारी किया गया है। शीर्ष मानवाधिकार संस्था ने मानवाधिकार कार्यकर्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी की याचिका पर यह कदम उठाया है।
त्रिपाठी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों, गरीबों और वंचित तबके के लोगों समेत किसानों की स्थिति दिन-पर-दिन खराब होती जा रही है। सरकारों और प्रदर्शनकारियों के सख्त रवैये के चलते आंदोलन लंबा खिंचता जा रहा है।
यह उच्च स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है। त्रिपाठी ने अपनी याचिका में किसानों की आत्महत्या, यौन उत्पीड़न, कोरोना से मौत और कोरोना की स्थिति का भी जिक्र किया है। उन्होंने अपनी याचिका में देश में कोरोना महामारी के संदर्भ में कृषि कानून विरोधी आंदोलन की भी चर्चा की है।
गौरतलब है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर (सिंघु, टीकरी, शाहजहांपुर और यूपी) गेट पर किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है। वहीं, दिल्ली के जंतर मंतर पर भी कृषि कानूनों के विरोध में किसान संसद का आयोजन किया जा रहा है।
इस बीच शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कृषि कानूनों के विरोधी में 28 नवंबर से यूपी गेट पर चल रहा धरना स्थल पर आने का कार्यक्रम था। इस दौरान सुबह से लेकर शाम तक भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अपने कार्यकर्ताओं के साथ उनका यूपी गेट पर इंतजार करते रहे, लेकिन ममता बनर्जी अपना दिल्ली दौरा खत्म कर वापस पश्चिम बंगाल पहुंच गईं।