वृद्ध कैदी को चेन से बांधने पर एनएचआरसी ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में मांगा जवाब

एनएचआरसी ने कहा कि 90 साल से अधिक के एक व्यक्ति को जेल में रखना बताता है कि राज्य का दंड समीक्षा बोर्ड बेकार हो चुका है। मुख्य सचिव से कहा कि जेलों में दंड के प्रविधानों का पालन करने के लिए कैदियों के मानवाधिकारों की रक्षा करनी होगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 11:46 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 11:46 PM (IST)
वृद्ध कैदी को चेन से बांधने पर एनएचआरसी ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में मांगा जवाब
अस्पताल के बेड पर मुंह पर ऑक्सीजन मास्क और पैरों में लोहे की बेड़ियां

नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इटावा के अस्पताल में बेड पर इलाज के दौरान 92 वर्षीय एक कैदी को चेन से बांध कर रखे जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने राज्य सरकार से इस मामले में छह हफ्ते में जवाब देने को कहा है।

अस्पताल के बेड पर मुंह पर ऑक्सीजन मास्क और पैरों में लोहे की बेड़ियां

हत्या के दोषी करार दिए गए बाबूराम बलराम सिंह की एक फोटो पिछले महीने इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गई थी जिसमें उन्हें अस्पताल के बेड पर मुंह पर ऑक्सीजन मास्क लगे और पैरों में लोहे की बेड़ियां पड़े देखा जा सकता है। इटावा जेल का एक अधिकारी इस मामले में निलंबित किया जा चुका है।

एनएचआरसी ने कहा- 90 साल पार व्यक्ति जेल में, यूपी का दंड समीक्षा बोर्ड बेकार

एनएचआरसी ने एक बयान जारी करके कहा कि 90 साल से अधिक के एक व्यक्ति को जेल में रखना बताता है कि राज्य का दंड समीक्षा बोर्ड बेकार हो चुका है। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी इस मामले पर अपना बेहद गंभीर रुख रखता है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी के मुख्य सचिव से छह हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा कि इस मामले में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से छह हफ्ते में रिपोर्ट मांगी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार को इस रिपोर्ट में बताना है कि दंड समीक्षा बोर्ड की पिछली बैठक कब हुई थी और उसके समक्ष अभी तक कितने मामले लंबित हैं। साथ ही वर्ष 2019 और 2020 में कितनी सजाओं को अंजाम दिया गया है।

एनएचआरसी ने कहा- यूपी सरकार को कैदियों के मानवाधिकारों की भी करनी होगी रक्षा

एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव से अपनी रिपोर्ट में कहा कि जेलों में दंड के प्रविधानों का पालन करने के लिए कैदियों के मानवाधिकारों की भी रक्षा करनी होगी।

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