असम तेल कुआं आग मामले में एनजीटी ने ऑयल इंडिया की आपत्ति खारिज की
कंपनी ने कहा था कि यह रिपोर्ट डेस्क रिसर्च और द्वितीय श्रेणी के आंकड़ों पर आधारित है जिसका सत्यापन किया जाना जरूरी है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने असम में तेल कुआं आग मामले में समिति की रिपोर्ट पर ऑयल इंडिया लिमिटेड की आपत्तियां खारिज कर दी हैं। बागजान कुआं संख्या पांच में लगी आग पर समिति की प्रारंभिक रिपोर्ट पर तेल कंपनी ने आपत्ति जताई थी। ऑयल इंडिया ने हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीपी काटकेय की अध्यक्षता में गठित समिति के निष्कर्षो पर संदेह जताया था। कंपनी ने कहा था कि यह रिपोर्ट डेस्क रिसर्च और द्वितीय श्रेणी के आंकड़ों पर आधारित है जिसका सत्यापन किया जाना जरूरी है।
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ समिति के निष्कर्षो से सहमत हुई। समिति ने तीन श्रेणी के लोगों को अंतरिम मुआवजा के योग्य माना है। तीन श्रेणियों में जिनके घर आग से तबाह हो गए, जिनके घर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए और वे जिनके घर को मामूली या आंशिक नुकसान हुआ या जिनकी फसलों और बागों को आंशिक नुकसान हुआ शामिल है। आंतरिक मुआवजा क्रमश: 25 लाख, 10 लाख और 2.5 लाख रुपये तय किया गया है। ऑयल इंडिया के मुताबिक, पहली श्रेणी के व्यक्तियों को 20 लाख रुपये दिए जा चुके हैं जबकि अन्य दो की पहचान नहीं हुई है। ट्रिब्यूनल ने समिति को तीन नंबर तक अंतिम रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।
ऑयल इंडिया पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने असम के तिनसुकिया जिले के बागजान में तेल कुएं में लगी आग पर काबू पाने में असफल रहने पर सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी ऑयल इंडिया पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी का कहना है कि कुएं में लगी आग से पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है। बता दें कि तेल के कुंओं में कुंआ संख्या पांच से पिछले 27 दिनों से लगातार गैस का रिसाव हो रहा है और नौ जून को उसमें आग लग गई। आग पर काबू पाने के प्रयास में ऑयल इंडिया के दो दमकल कर्मियों की मौत हो चुकी है।