नए म्युटेशन दे सकते हैं टेंशन, जल्द तोड़नी होगी वायरस के ट्रांसमिशन की चेन
कोरोना वायरस के मामले में भी अब ऐसा ही कुछ हो रहा है। आए दिन हम दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में नए वैरिएंटस की खबरें सुन रहे है। इनमें से डबल म्यूटेंट वैरिएंट या डेल्टा वैरिएंट भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर का मुख्य कारण था।
नई दिल्ली, जेएनएन। जीवों की उत्पत्ति के क्रम में म्युटेशन एक स्वभाविक प्रक्रिया है। म्युटेशंस अर्थात जीनोमिकी संरचना में परिवर्तन, जिसकी वजह से जीवों की नई प्रजातियों की उत्पत्ति होती है। वायरस अपनी कॉपी बनाने के लिए अपने होस्ट की सेलुलर मशीनरी का प्रयोग करता है। होस्ट की कोशिकाओं में अपनी नई कॉपी बनाने के दौरान वायरस में म्युटेशन की संभावनाएं बहुत प्रबल होती है। ये सतत म्युटेशन की प्रक्रिया वायरस के नए वैरिएंट्स को जन्म देती है।
कोरोना वायरस के मामले में भी अब ऐसा ही कुछ हो रहा है। आए दिन हम दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में नए वैरिएंटस की खबरें सुन रहे है। इनमें से डबल म्यूटेंट वैरिएंट या डेल्टा वैरिएंट भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर का मुख्य कारण था। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वैरिएंट करीब 80 देशो में फैल चुका है।
इन नए वैरिएंट्स पर काबू पाने के लिए वायरस के ट्रांसमिशन की चेन को जल्द से जल्द तोड़ना होगा। इस लड़ाई में हमारा सबसे अहम हथियार है टीका।
हालांकि, ब्रिटेन में तेजी से टीकाकरण के बावजूद डेल्टा वैरिएंट से जुड़े संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जैसे- क्या वर्तमान में उपलब्ध टीके इन वैरिएंट्स के खिलाफ प्रभावी हैं? क्या हमें भविष्य में और बूस्टर डोज की आवश्यकता पड़ सकती है? या फिर हमें नए टीके विकसित करने होंगे। इसके लिए हमें अब तक का डाटा समझना होगा। ब्रिटिश विज्ञानियों से लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च तक, सबने मौजूदा टीकों को नए वैरिएंट्स पर कारगर पाया है।
ब्रिटेन में भी डेल्टा वैरिएंट के मामलों में अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर होने वालों में ज्यादातर लोग वही हैं, जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। जाहिर है कि ब्रेकथ्रू इंफेक्शन यानी टीकाकरण के बाद संक्रमण ज्यादातर मामलों में गंभीर लक्षण नहीं दिखा रहा, लेकिन यह हमारे लिए एक चेतावनी की तरह है। इससे भविष्य में हमें नए टीकों या बूस्टर डोज की तरफ समय रहते ध्यान देने की जरूरत है। जब तक पूरी दुनिया में टीकाकरण के द्वारा हर्ड इम्युनिटी नहीं आ जाती, लोग संक्रमित होते रहेंगे, वायरस में म्यूटेशन होते रहेंगे और नए वैरिएंट्स आते रहेंगे। अगर नए वैरिएंट्स पर वैक्सीन कारगर नहीं रही तो फिर दुनिया की मुश्किल बढ़ सकती है।
उपाय यही है कि दुनियाभर की सरकारें आपसी सहयोग से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक टीका पहुंचाएं और संक्रमण की चेन तोड़ें क्योंकि जितना संक्रमण फैलेगा, वायरस के उतने नए रूप सामने आएंगे। अगर किसी वैरिएंट के खिलाफ टीकों का प्रभावीपन कम पाया जाता है तो हमें नए वैक्सीन कैंडिडेट खोजने होंगे। नई वैक्सीन बनाने के लिए हमें फिर से उसके प्रभावीपन का ट्रायल करना होगा।
(डॉ दिलीप कुमार वायरोलॉजिस्ट, बेलर कालेज ऑफ मेडिसिन, ह्यूस्टन)