बच्चों की सुरक्षा के लिए कदमों को मजबूत करने की जरूरत, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने उठाई आवाज

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एस रवींद्र भट ने दिया सुझाव। कहा अकेले बच्चों की देखभाल के लिए तंत्र विकसित किया जाना चाहिए। कोरोना की वजह से कुछ बच्चों के माता-पिता में से एक या दोनों की मौत हो चुकी है।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 11:16 PM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 11:16 PM (IST)
बच्चों की सुरक्षा के लिए कदमों को मजबूत करने की जरूरत, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने उठाई आवाज
बच्चों की सुरक्षा के लिए कदमों को मजबूत करने की जरूरत, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश ने उठाई आवाज

नई दिल्ली, प्रेट्र। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एवं अदालत की बाल न्याय समिति के अध्यक्ष जस्टिस एस रवींद्र भट ने शनिवार को कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बच्चों की बेहतर देखभाल, सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए मजबूत कदम उठाए जाने की जरूरत है।

उन्होंने यह टिप्पणी कोरोना की मौजूदा लहर के दौरान बच्चों की देखभाल, सुरक्षा और भलाई के संबंध में विभिन्न राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों का जायजा लेने के लिए उच्चतम न्यायालय बाल न्याय समिति द्वारा आयोजित समीक्षा बैठक में की।

यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित बैठक में इस अवधि में हर जरूरतमंद बच्चे की उचित देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले संभावित कदमों पर भी चर्चा की गई।

जस्टिस भट ने कहा कि कोरोना की वजह से कुछ बच्चों के माता-पिता में से एक या दोनों की मौत हो चुकी है और अनेक बच्चे अपने माता-पिता के अस्पतालों में भर्ती होने की वजह से अभिभावकीय देखभाल में नहीं हैं। उन्होंने कहा, ये बच्चे पहले के मुकाबले अब अधिक संवेदनशील हैं। सभी हितधारकों द्वारा ठोस प्रयास किए जाने चाहिए, जिससे कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने सुझाव दिया कि अनाथ, अलग-थलग रह रहे या अकेले बच्चों की अंतरिम देखभाल के लिए एक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए तथा इस तरह के बच्चों के बीमार होने या महामारी के लक्षण सामने आने पर उठाए जानेवाले कदमों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए।

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