2017-19 के बीच 24 हजार किशोरों ने खुदकुशी की, इनमें 13,325 लड़कियां भी शामिल : एनसीआरबी

एनसीआरबी ने बताया है कि वर्ष 2017-19 के बीच 14-18 साल के 24 हजार से ज्यादा किशोरों व नवयुवाओं ने खुदकुशी कर ली। इनमें 13325 लड़कियां शामिल रहीं। यही नहीं 4046 मामलों की वजह परीक्षा में विफलता रही।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 07:29 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 07:40 PM (IST)
2017-19 के बीच 24 हजार किशोरों ने खुदकुशी की, इनमें 13,325 लड़कियां भी शामिल : एनसीआरबी
वर्ष 2017-19 के बीच 14-18 साल के 24 हजार से ज्यादा किशोरों व नवयुवाओं ने खुदकुशी कर ली।

नई दिल्ली, पीटीआइ। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की तरफ से हाल ही में संसद में पेश आंकड़े न सिर्फ चौंकाते हैं, बल्कि किशोर व नवयुवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत भी करते हैं। एनसीआरबी ने बताया है कि वर्ष 2017-19 के बीच 14-18 साल के 24 हजार से ज्यादा किशोरों व नवयुवाओं ने खुदकुशी कर ली। 4,046 मामलों की वजह परीक्षा में विफलता रही। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017-19 के बीच कुल 24,568 किशोरों व नवयुवाओं ने खुदकुशी की, जिनमें 13,325 लड़कियां शामिल रहीं।

वर्ष 2017 में 8,029, 2018 में 8,162 व 2019 में 8,337 किशोरों व नवयुवाओं ने आत्महत्या की। 639 ने विवाह से जुड़े मुद्दों पर आत्महत्या की, इनमें 411 लड़कियां शामिल हैं। 3,315 ने प्रेम संबंधों के चलते, 2,567 ने बीमारी के कारण व 81 ने शारीरिक शोषण के तंग आ कर खुदकुशी कर ली। प्रियजन की मौत, नशे का आदी होना, गर्भधारण करना, सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होना, बेरोजगारी व गरीबी आदि भी कारणों में शुमार रहे।

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 3,115 किशोरों व नवयुवाओं ने आत्महत्या की। इसके बाद बंगाल में 2,802, महाराष्ट्र में 2,527 व तमिलनाडु में 2,035 किशोरों व नवयुवाओं ने खुदकुशी की। बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) की मुख्यकार्यकारी अधिकारी पूजा मारवाह ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण हालात खराब होने पर चिंता जताते हुए स्कूल पाठ्यक्रमों में जीवन कौशल प्रशिक्षण और स्वास्थ्य देखभाल व कुशलता के एजेंडे में मानसिक स्वास्थ्य को शामिल करने पर जोर दिया। 

पिछले सप्ताह एक सवाल के लिखित जवाब में सरकार ने राज्यसभा में बताया कि मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को लेकर देशभर के उच्च न्यायालयों में 2019 से अब तक 7,800 से अधिक जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। कुछ उच्च न्यायालयों ने ऐसी जनहित याचिकाओं का अलग से रिकार्ड नहीं रखा है। दूसरी तरफ कुछ अदालतों में सलाना आधार पर आंकड़ा मौजूद नहीं है। सरकार से पिछले दो वर्षों में सुप्रीम कोर्ट एवं विभिन्न हाई कोर्टो में दायर ऐसी जनहित याचिकाओं के बारे में पूछा गया था।

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