लीक से हटकर : झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों का जीवन संवार रहा यह शख्स, जानिये कैसे
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अरिहंत आर्डन सोसायटी में रहने वाले आशीष कुशवाहा झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों का जीवन संवारने संवार रहे हैं। जानिये कैसे...
ग्रेटर नोएडा, जेएनएन। बुलंद इरादों से नया इतिहास बनता है। समाज को नई दिशा मिलती है। समाज के प्रत्येक वर्ग को उन्नति और विकास करने का अधिकार है, लेकिन शिक्षा के बाजारीकरण के चलते समाज का एक तबका काफी पिछड़ गया है। वंचितों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कुछ लोग नि:स्वार्थ सेवा भाव से काम कर रहे हैं। उन चंद लोगों में से एक हैं ग्रेटर नोएडा वेस्ट की अरिहंत आर्डन सोसायटी में रहने वाले आशीष कुशवाहा, जो नोएडा, ग्रेटर नोएडा में निर्माणाधीन बिल्डर परियोजनाओं में काम करने वाले मजदूरों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा मुहैया कराने का काम कर रहे हैं।
जरूरतमंद बच्चों का भविष्य संवारना उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। इन बच्चों के उत्थान के लिए अमरपुष्प एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी के नाम से उन्होंने संस्था का गठन किया है, जिसमें सोसायटी के दो दर्जन से अधिक लोग शामिल है। संस्था के सदस्य विभिन्न बिल्डर परियोजनाओं की निर्माणाधीन साइट पर पहुंचकर मजदूरों के बच्चों को पढ़ाने का काम करते हैं। शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के मनोरंजन का भी ध्यान रखा जाता है। बीच-बीच में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन कर बच्चों को पुरस्कृत कर प्रोत्साहित किया जाता है।
पाठ्य सामग्री भी कराते हैं उपलब्ध
आशीष कहते हैं कि बच्चों के लिए पढ़ाई सामग्री जैसे कापी, किताब, पेन, ड्रेस व फीस भी संस्था के सदस्य मिलकर वहन करते है। पिछले दो सालों में शिक्षा के इस अभियान से कई नौनिहालों को नई दिशा मिली है। विभिन्न निर्माणाधीन परियोजनाओं के करीब दो सौ से अधिक बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जा रही है। आशीष बताते हैं कि बच्चों को साक्षर बनाने के इस नेक काम में सहयोग करने के लिए सोसायटी के लोगों का कारवां जुड़ता जा रहा है। पत्नी गीतांजलि कुशवाहा भी पूरा सहयोग करती हैं।
घर-घर जाकर समझाते हैं शिक्षा का महत्व
कक्षा की शुरुआत सरस्वती वंदना से कराई जाती है। उसके बाद उन्हें हिन्दी, अंग्रेजी समेत अन्य विषयों का ज्ञान दिया जाता है। यहां पढ़ने वाले कुछ बच्चों के अभिभावकों ने उनकी पढ़ाई आगे जारी रखने के लिए बच्चों का सरकारी स्कूल में दाखिला भी कराया है, लेकिन ये बच्चे संस्था इस इस कदर जुड़ चुके हैं कि अभी भी पढ़ाई के लिए वहीं पहुंच जाते हैं। झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले व मजदूर तबके के लोगों को घर-घर जाकर ये शिक्षा का महत्व भी समझाते हैं। आशीष का कहना है कि अगर व्यक्ति शिक्षित हो तो उसे आसानी से रोजगार मिल जाता है। जरूरतमंद बच्चों को शिक्षित कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना ही उनके जीवन का लक्ष्य है।
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