लीक से हटकर : पति की मौत के बाद नहीं हारी हिम्मत, ई-रिक्शा को बनाया जीविका का साधन
पति की मौत के बाद प्रताप विहार के अमृता आनंदामयी कुटीरम में रहने वाली गुड्डी ने ऐसी राह पर चलने का फैसला किया जिस पर आमतौर पर महिलाएं नहीं चलना चाहती हैं।
गाजियाबाद, जेएनएन। विपरीत परिस्थितियों में भी कैसे घर-परिवार चलाना है, किस तरह हंसते हुए जीवन यापन करना है कोई गुड्डी से सीखे। जिन्होंने पति के गुजर जाने के बाद गुजर-बसर के लिए ऐसी राह पर चलने का फैसला किया, जिस पर आमतौर पर महिलाएं नहीं चलना चाहती हैं। जिले में प्रताप विहार के अमृता आनंदामयी कुटीरम में रहने वाली गुड्डी लोग क्या कहेंगे की परवाह किए बिना पुरानी ई-रिक्शा फाइनेंस पर लेकर सवारी ढोने का काम रही हैं।
हालांकि, उनको ई-रिक्शा का हैंडल थामे देख लोग हंसते हैं, लेकिन गुड्डी इन बातों पर ध्यान नहीं देतीं। उन्हें तो बस जीवन में आगे बढ़ना है। मूल रूप से इलाहाबाद की रहने वाली गुड्डी जब तीन साल की थीं तभी उनके माता-पिता दिल्ली आ गए और यहीं रहने लगे। यहां उनके पिता मजदूरी किया करते थे। माता-पिता ने उसका विवाह भजनपुरा में एक दुकान पर काम करने वाले छोटे लाल से करा दिया। गुड्डी के दो बच्चे एक लड़का और एक लड़की हैं। पति की मजदूरी से परिवार का गुजर-बसर न होता देख गुड्डी ने एक फैक्ट्री में काम करना शुरू कर किया। लेकिन समय पर पैसा नहीं मिलने के कारण उन्होंने घरों में चूल्हा-चौका और साफ-सफाई का काम करना शुरू किया। उनकी जिंदगी अच्छी खासी चल रही थी, तभी पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई।
इसके बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी गुड्डी के कंधों पर आ गई। वर्ष 2014 में उन्होंने पुरानी रिक्शा फाइनेंस पर लेकर चलाना शुरू किया। पहले तो लोग उनके रिक्शा में बैठने से हिचकिचाते थे, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया। गुड्डी को यकीन है कि उसके दिन भी बहुरेंगे। वह परिवार के पालन-पोषण के साथ अपनी रिक्शा होने के लिए भी संघर्ष कर रही हैं। इसके लिए वह 14 से 15 घंटे रिक्शा चलाती हैं।
महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
इतना ही नहीं गुड्डी ने दूसरी महिलाओं को भी आत्म निर्भर बनने के लिए प्रेरित किया। गुड्डी ने खुद ई-रिक्शा चलाकर जीवन यापन के साथ बच्चों का पालन-पोषण किया। तो दूसरी कुछ महिलाओं का भी हौसला बढ़ाया। उन्होंने कांशीराम कॉलोनी, नंदग्राम और कनावनी की पांच महिलाओं को ई-रिक्शा चलाना सिखाया है।
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