सुप्रीम कोर्ट बोला- कैदी को सजा अवधि और रिहाई से संबंधित सूचना मिलनी चाहिए, दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जेल में बंद कैदियों को अपनी सजा की अवधि रिहाई और अवधि पूर्व रिहाई के अधिकार के संबंध में पूरी जानकारी मिलनी चाहिए। यही नहीं उन्हें पैरोल और फरलो के अधिकार के संबंध में भी जानकारी दी जानी चाहिए।
नई दिल्ली, पीटीआइ। जेल में बंद कैदियों को अपनी सजा की अवधि, रिहाई और अवधि पूर्व रिहाई के अधिकार के संबंध में पूरी जानकारी मिलनी चाहिए। उन्हें पैरोल और फरलो के अधिकार के संबंध में भी जानकारी दी जानी चाहिए। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कही है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने जेल में बंद कैदियों की सजा अवधि के संबंध में पोर्टल बनाने के बारे में दिल्ली सरकार से जवाब भी मांगा।
पीठ ने कहा कि वह मामले में दिल्ली सरकार की दलील से संतुष्ट नहीं है। सरकार ने कैदियों के संबंध में जानकारियों को सार्वजनिक किए जाने को उचित नहीं माना था। कहा था कि इससे कैदियों की निजता के अधिकार का हनन होगा। जस्टिस सूर्यकांत की मौजूदगी वाली पीठ ने कहा, इस सूचना को सार्वजनिक करने से निजता का उल्लंघन होने का तर्क समझ से परे है। हमारा मानना है कि यह सूचना जनसामान्य की जानकारी में भी होनी चाहिए।
अगर कोई व्यक्ति 20 साल से जेल में है तो उसे पैरोल और फरलो से अपनी रिहाई के बारे में जानकारी होने का भी हक है। अगर उसके बारे में जनता भी जान जाए तो किसी को क्या कठिनाई हो सकती है ? पीठ ने यह बात दिल्ली सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता जयंत सूद से कही।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाए मुकेश कुमार की दिल्ली हाईकोर्ट के 2007 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में सजा से संबंधित सूचना सार्वजनिक होने पर आपत्ति जताई गई थी। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि दिल्ली की जेलों में ई-कियोस्क की सुविधा दी गई है। इन कियोस्क में जाकर कैदी अपने संबंध में सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इन जानकारियों में उनकी सजा अवधि के संबंध में भी सूचना होती है।