दिल्ली से ज्यादा जहरीली है मुंबई की हवा, पढ़िए- सफर इंडिया की पूरी रिपोर्ट

सफर की रिपोर्ट बताती है कि 2010-18 के दौरान दिल्ली में उद्योगों से होने वाला प्रदूषण करीब 48 फीसद तक बढ़ा है। औद्योगिक इकाइयों की बढ़ती संख्या से इस क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ा है।

By JP YadavEdited By: Publish:Sat, 16 Feb 2019 01:07 PM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 08:48 AM (IST)
दिल्ली से ज्यादा जहरीली है मुंबई की हवा, पढ़िए- सफर इंडिया की पूरी रिपोर्ट
दिल्ली से ज्यादा जहरीली है मुंबई की हवा, पढ़िए- सफर इंडिया की पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। पिछले आठ सालों के दौरान दिल्ली में प्रदूषण का हाल बद से बदहाल हो गया। ये आंकड़े केंद्रीय भूविज्ञान मंत्रालय के अधीन कार्यरत सफर इंडिया की रिपोर्ट में सामने आए हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) के सालाना मीडिया कॉन्क्लेव में जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के तहत बीते दो सालों में उठाए गए कदमों से प्रदूषित दिनों की संख्या में बहुत अधिक कमी तो नहीं हुई है, लेकिन प्रमुख प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 के स्तर में अवश्य ही कुछ कमी आई है।

रिपोर्ट यह भी सामने आया है कि कहने को दिल्ली मुंबई से काफी अधिक प्रदूषित है, लेकिन मुंबई की हवा अधिक जहरीली है। इसकी वजह यह है कि मुंबई के पीएम 10 और पीएम 2.5 में ब्लैक कार्बन की मात्रा दिल्ली से कहीं अधिक है। सफर की यह रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2010 से 2018 के दौरान दिल्ली में उद्योगों से होने वाला प्रदूषण करीब 48 फीसद तक बढ़ा है। 

औद्योगिक इकाइयों की बढ़ती संख्या के कारण इस क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या सबसे अधिक बढ़ी है। औद्योगिक क्षेत्र में 2010 में 17.3 फीसद प्रदूषण होता था जबकि 2018 में यह 22.3 फीसद हो गया। इसी तरह दिल्ली में 2010 में प्रदूषण बढ़ाने में परिवहन क्षेत्र की हिस्सेदारी 32.1 फीसद थी जबकि 2018 में यह बढ़कर 39.1 फीसद हो गई। ऊर्जा के क्षेत्र में भी प्रदूषण 16 फीसद तक बढ़ा है। 2010 में इस क्षेत्र में प्रदूषण 3 फीसद था जबकि 2018 में यह बढ़कर 3.1 फीसद हो गया है।

डॉ. गुरफान बेग (परियोजना निदेशक, सफर इंडिया) का कहना है कि यह ठीक है कि दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू हो गया है। बहुत से कदम भी उठाए जा रहे हैं, लेकिन सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को जरा भी मजबूत नहीं किया जा सका है। बसें घट रही हैं जबकि सड़कों पर निजी वाहन बढ़ रहे हैं। इसी तरह अनधिृकत कॉलानियों में औद्योगिक गतिविधियों पर भी कोई लगाम नहीं है। दिल्ली की हवा को बेहतर बनाने के लिए इस दिशा में भी गंभीरता से प्रयास करना होगा। 

दिल्ली में ऐसे बढ़ेगी लोगों की तीन साल उम्र
दिल्ली में बढ़ते पर्यावरण संकट का असर जनजीवन पर पड़ने लगा है। इससे दिल्ली में रहने वाले लोगों की उम्र कम हो रही है। कुछ महीने पहले एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई थी। माना जा रहा है कि नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तत अगले पांच वर्षों में यदि दिल्ली के प्रदूषण स्तर में 20-30 फीसद की कमी भी कर ली जाए तो दिल्ली वालों की उम्र करीब तीन वर्ष बढ़ जाएगी।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने बीते 10 जनवरी को 2017 को आधार वर्ष मानते हुए अगले पांच वर्षों में हवा की गुणवत्ता में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि के लिए एनसीएपी शुरू किया था। एनसीएपी ने देश के 102 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई तरह के प्रस्ताव दिए हैं।

एनसीएपी द्वारा किए गए सर्वे के बाद 102 शहरों में औसत से अधिक प्रदूषण का स्तर पाया गया था। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट के अध्ययन के अनुसार, अगर ये शहर प्रदूषण कम करने के एक्शन प्लान को पूरी तरह से लागू करते हैं, तो इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे।

 

अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी यदि सभी 102 शहरों में 25 प्रतिशत प्रदूषण में कमी आई, तो उनका पीएम 2.5 का स्तर 2016 के मुकाबले 14 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर कम हो जाएगा। इससे लोगों की उम्र में करीब 1.4 साल की बढ़ोतरी हो जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 102 शहरों में 25 प्रतिशत प्रदूषण में कमी होने पर उत्तर प्रदेश के 13 शहर, बिहार के दो शहर और दिल्ली के लोगों की उम्र में करीब तीन वर्ष की बढ़ोतरी हो जाएगी। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में इंडेक्स बनाने वाले प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन का भी कहना है कि एनसीएपी को सफलतापूर्वक लागू करने से सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में लोगों की उम्र में तीन वर्ष की बढ़ोतरी होगी। एनसीएपी में इतनी क्षमता है कि वह भारतीय पर्यावरण नीति में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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