रेजांगला युद्ध : जब 124 जवानों ने मार गिराए थे चीनी सेना के 1300 सैनिक

Rezangala war, 18 नवंबर, 1962 का रेजांगला युद्ध में 24 भारतीय जवानों ने चीनी सेना के 1300 सैनिकों को मार गिराया था। पढ़िए रेजांगला युद्ध की गौरव गाथा

By Edited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 07:05 PM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 09:40 AM (IST)
रेजांगला युद्ध : जब 124 जवानों ने मार गिराए थे चीनी सेना के 1300 सैनिक
रेजांगला युद्ध : जब 124 जवानों ने मार गिराए थे चीनी सेना के 1300 सैनिक

रेवाड़ी, जागरण संवाददाता। 18 नवंबर, 1962 का रेजांगला युद्ध...जब 124 भारतीय जवानों ने चीनी सेना के 1300 सैनिकों को मार गिराया था। लद्दाख की दुर्गम बर्फीली चोटी पर चीनी सेना के साथ हुए 'रेजांगला युद्ध' की गौरव गाथा अद्वितीय है। चीनी आक्रमण के समय आज ही के दिन 18 नवंबर, 1962 को लद्दाख की बर्फीली चोटी पर स्थित रेजांगला पोस्ट पर हुए युद्ध की गौरवगाथा विश्व में अब तक हुए युद्धों से अनूठी है।

इस युद्ध में तत्कालीन 13 कुमाऊं बटालियन के 124 जवानों में से 114 जवान कुर्बान हो गए थे। इन जवानों ने 1300 चीनी सैनिकों को मार गिराया था और करीब तीन हजार सैनिकों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया था। मैदानी क्षेत्रों से गए हमारे सैनिकों के लिए हालात अनुकूल नहीं थे। हथियारों में भी हम 19 थे। परीक्षा की घड़ी 17 नवंबर की रात तब आई थी, जब तूफान के कारण रेजांगला की बर्फीली चोटी पर मोर्चा संभाल रहे इन जवानों का संपर्क बटालियन मुख्यालय से टूट गया। विषम परिस्थितियों के बीच ही 18 नवंबर को तड़के चार बजे युद्ध शुरू हो गया, लेकिन किसी को इसकी सूचना नहीं मिल पाई। 

18 हजार फुट ऊंची पोस्ट पर हुए युद्ध में वीरता के सामने चीनी सेना कांप उठी थी। रेजांगला पोस्ट पर दिखाई वीरता का सम्मान करते हुए ही भारत सरकार ने कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह को जहां मरणोपरांत देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार पदक परमवीर चक्र से अलंकृत किया था, वहीं इसी बटालियन के आठ अन्य जवानों को वीर चक्र, चार को सेना मेडल व एक को मेंशन इन डिस्पैच का सम्मान प्रदान किया गया था। 13 कुमायूं के कमांडिंग अफसर (सीओ) को एवीएसएम से अलंकृत किया था।

किसी बटालियन को नहीं मिले इतने पदक 
सैन्य इतिहास में किसी एक बटालियन को एक साथ बहादुरी के इतने पदक नहीं मिले। बाद में सरकार ने कंपनी का नाम रेजांगला कंपनी कर दिया। इस युद्ध में शहीद हुए वीरों में मेजर शैतान सिंह पीवीसी जोधपुर के भाटी राजपूत थे, जबकि नर्सिंग सहायक धर्मपाल सिंह दहिया (वीर चक्र) सोनीपत के जाट परिवार से थे। कंपनी का सफाई कर्मचारी पंजाब का था। शेष सभी जवान वीर अहीर थे व इनमें अधिकांश यहां के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ व सीमा से सटे अलवर के रहने वाले थे।

आज दी जाएगी वीरों को श्रद्धांजलि
हर वर्ष रेवाड़ी में 18 नवंबर को रेजांगला शौर्य दिवस गरिमापूर्ण ढंग से मनाया जा रहा है। रविवार को रेजांगला युद्ध स्मारक पर रेजांगला शौर्य समिति के तत्वावधान में सुबह नौ बजे वैदिक रीति से हवन किया गया तथा रेजांगला के अमर शहीदों को नमन किया गया।

chat bot
आपका साथी