सीएए की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के बाहर धरने पर बैठीं महिलाएं

नागरिकता संशोधन कानून पर सुनवाई से पहले मंगलवार रात को सुप्रीम कोर्ट के बाहर करीब 20 महिलाएं बच्‍चों के साथ धरने पर बैठ गईं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 01:07 AM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 01:19 AM (IST)
सीएए की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के बाहर धरने पर बैठीं महिलाएं
सीएए की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के बाहर धरने पर बैठीं महिलाएं

नई दिल्‍ली, प्रेट। नागरिकता संशोधन कानून पर सुनवाई से पहले मंगलवार रात को सुप्रीम कोर्ट के बाहर करीब 20 महिलाएं बच्‍चों के साथ धरने पर बैठ गईं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने गेट पर अवैध तरीके से बैठ गईं, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें वहां से हटाया।

सुप्रीम कोर्ट बुधवार को नागरिकता (संशोधन) कानून की संवैधानिक वैधता की जांच करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करने वाला है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की संवैधानिक वैधता परखने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा।

144 याचिकाओं पर सुनवाई 

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर 18 दिसंबरे को केंद्र सरकार को विभिन्न याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। पीठ संभवत: 144 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं भी शामिल हैं।

इन्‍होंने दी सीएए को चुनौती 

सीएए की संवैधानिक वैधता को इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, असम गण परिषद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, जमायत उलेमा ए हिन्द, जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा, देव मुखर्जी, असददुद्दीन ओवेसी, तहसीन पूनावाला व केरल सरकार सहित अन्य ने चुनौती दी है।

चीफ जस्टिस ने प्रदर्शनों पर जताई थी चिंता 

ज्ञात हो कि नौ जनवरी को चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर देशभर में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर चिंता जताते हुए कहा था कि वह इस मामले में तभी सुनवाई करेंगे जब हिंसा रुकेगी। साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि देश कठिन दौर से गुजर रहा है।

नागरिकता (संशोधन) कानून 31 दिसंबर, 2014 से पहले आए पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान से आए गैर मुस्लिमों को नागरिकता प्रदान करेगा। इसमें छह धर्मों हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन और पारसी को शामिल किया गया है।  

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