अमित शाह ने बैठक कर दिल्‍ली में हिंसा का लिया जायजा, उपद्रवियों से सख्ती से निपटने का निर्देश

गणतंत्र दिवस पर किसानों के उग्र आंदोलन और दिल्ली में स्थिति को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में गृह सचिव दिल्‍ली पुलिस के अधिकारी और अन्य अधिकारी शामिल हुए। अब तक 3 अहम बैठकें हो चुकी हैं।

By Arun kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 05:26 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 08:57 PM (IST)
अमित शाह ने बैठक कर दिल्‍ली में हिंसा का लिया जायजा, उपद्रवियों से सख्ती से निपटने का निर्देश
दिल्ली में स्थिति को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने उच्च स्तरीय बैठक की

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आंदोलन के नाम पर दिल्ली में किसान संगठनों के शर्मनाक उत्पात के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उच्चस्तरीय बैठक कर पूरी स्थिति की समीक्षा की व सुरक्षा व्यस्था को और मजबूत करने का स्पष्ट निर्देश दिया। तत्काल दिल्ली के कई इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल भेज दिया गया। राजधानी की कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों को भी लगाया जाएगा। प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित रखने के लिए कुल कितने अर्धसैनिक जवान लगाए जाएंगे यह अभी स्ष्ट नहीं है लेकिन जानकारों के अनुसार यह संख्या 1500 से 2000 के बीच (15 से 20 कंपनी) हो सकती है।

गणतंत्र दिवस के कारण करीब साढ़े चार हजार जवान पहले से ही तैनात हैं। राजधानी में पैदा हुई अराजकता की स्थिति पर लगभग दो घंटे तक चली बैठक में आइबी निदेशक और गृह सचिव, दिल्ली पुलिस कमिश्नर समेत अन्य आला अधिकारियों से जानकारी लेने के बाद शाह ने सख्ती के निर्देश दिए। उन्होंने कहा की जो लोग भी हिंसा में शामिल थे उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।

बताते हैं कि पुलिस कमिश्नर ने पुलिस बल की कमी की बात कही तो शाह ने तत्काल कहा कि जितना अर्धसैनिक बल चाहिए वह मिलेगा। दरअसल मंगलवार की घटनाओं में कई स्थानों पर किसानों की पत्थरबाजी के सामने पुलिस पीछे हटती दिखी थी। बैठक के बाद संकेत मिले हैं कि मंगलवार को जरूरत से ज्यादा संयम दिखा चुकी पुलिस अब किसी अराजकता को छूट नहीं देगी। उधर, कई किसान संगठनों और नेताओं की पृष्ठभूमि पर पहले ही संदेह जता रही खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट पर कार्रवाई भी हो सकती है।

दरअसल खुफिया एजेंसी को अभी भी हिंसा की आशंका है। मंगलवार को उपद्रवियों के उत्पात के कारण किसान आंदोलन की जड़ें कमजोर हो गई हैं। कल तक संयुक्त ताकत की बात करते रहे संगठन मंगलवार को अपने-अपने संगठन की खाल बचाते दिखे। किसानों के संयुक्त बयान में मंगलवार के उत्पात से पल्ला झाड़ने की कोशिश की गई है, लेकिन यह सच है कि इनके बीच कई संगठनों की गतिविधियां शुरू से ही संदिग्ध रही हैं। पहले भी इनके बीच खालिस्तान समर्थक देखे गए हैं। लेकिन संयुक्त मोर्चे ने उनकी कभी आलोचना नहीं की। ऐसे में खुफिया एजेंसी को ज्यादा सतर्क रहने को कहा गया है।

कृषि कानून के खिलाफ दो महीनों से आंदोलन कर रहे किसान ने गणतंत्र दिवस पर मंगलवार को दिल्ली की सीमाओं के आसपास ट्रैक्टर रैली निकाली। इस दौरान कई जगहों पर किसानों और पुलिस के बीच भिड़ंत हुई। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े गए।

पुलिस को चकमा देते हुए उपद्रवी कश्‍मीरी गेट से होते हुए लाल किले और आइटीओ तक पहुंच गए और वहां जमकर हिंसा की। पुलिस पर पथराव किया और पुलिसवालों पर ट्रैक्‍टर चढ़ाने की कोशिश की। कुछ उपद्रवी किसान लाल किले के अंदर घुस गए। किसानों ने वहां पहुंचकर अपना झंडा फहराया। किसानों ने यहां दो झंडे फहराए। जिस जगह पर उपद्रवी किसानों ने झंडा फहराया, वहां स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री झंडा फहराते है।  

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