राष्ट्रपति के आदेश पर डीयू के वीसी प्रोफेसर योगेश त्‍यागी को क‍िया गया न‍िलंबित, आरोपों की होगी जांच

दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्‍यागी को राष्ट्रपति राम नाथ कोव‍िंद ने तत्‍काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उनके खि‍लाफ उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं । केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने उनके खिलाफ उच्च स्तरीय जांच कराने का फैसला लिया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 05:47 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 07:32 PM (IST)
राष्ट्रपति के आदेश पर डीयू के वीसी प्रोफेसर योगेश त्‍यागी को क‍िया गया न‍िलंबित, आरोपों की होगी जांच
दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर योगेश त्‍यागी।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अनियमितताओं के आरोपों से घिरे दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी को आखिरकार निलंबित कर दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को बतौर विजिटर मिली शक्तियों की इस्तेमाल करते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से कुलपति के पद से हटा दिया है। साथ ही उन पर लगे आरोपों की उच्च स्तरीय जांच की भी मंजूरी दी है।

राष्ट्रपति ने विजिटर के रूप में मिली शक्तियों का किया इस्तेमाल

राष्ट्रपति ने यह कार्रवाई केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के बाद की है। जिसमें कुलपति की ओर लगातार बरती जा रही अनियमितताओं का विस्तृत ब्यौरा सौंपा गया था। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार विश्वविद्यालय के मौजूदा प्रो-वीसी पीसी जोशी को सौंप दिया है।

राष्ट्रपति कोविंद की ओर से उठाए गए इस सख्त कदम के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार शाम को इसके आदेश भी जारी कर दिए है। साथ ही कुलपति प्रोफेसर त्यागी की ओर से मेडिकल अवकाश के दौरान लिए गए सभी फैसलों को शून्य घोषित कर दिया है। वहीं उनके पूरे कार्यकाल के दौरान लिए गए फैसलों की भी जांच कराने का फैसला लिया गया है।

अनियमितताओं के खिलाफ जांच रहेगी जारी, पूरे कार्यकाल में लिए गए फैसलों की भी होगी समीक्षा

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने कुलपति के खिलाफ जिन अनियमितताओं को सबसे गंभीर माना गया है, उनमें मेडिकल अवकाश के दौरान मौजूदा प्रो-वीसी और रजिस्ट्रार को हटाकर उनकी जगह नए प्रो-वीसी और रजिस्ट्रार की नियुक्ति करना था। मंत्रालय का मानना है कि मेडीकल अवकाश के दौरान उन्हें इस तरह के फैसले लेने का कोई अधिकार नहीं था। इसके बाद भी वह लगातार मंत्रालय के फैसले पर ही सवाल उठा रहे थे।

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, पहले उनके खिलाफ सिर्फ उच्च स्तरीय जांच का ही फैसला लिया गया था, जिसकी राष्ट्रपति ने अनुमति भी दी थी, लेकिन मंगलवार शाम को ही प्रोफेसर त्यागी और उनकी टीम ने मंत्रालय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जिसके बाद मंत्रालय ने कुलपति को हटाने का फैसला लिया। हालांकि यह फैसला राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में आता है। ऐसे में मंत्रालय ने राष्ट्रपति को मौजूदा स्थिति से अवगत कराते हुए तुरंत कार्रवाई की मांग की। जिसके बाद निलंबन का यह फैसला लिया गया।

मंत्रालय ने कुलपति पर लगाए प्रशासनिक अक्षमता के भी आरोप

राष्ट्रपति के पास दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति के निलंबन को लेकर भेजे गए प्रस्ताव में शिक्षा मंत्रालय ने कुलपति त्यागी पर प्रशासनिक अक्षमता के भी आरोप लगाए है। जिसमें कहा गया है कि मंत्रालय की ओर से बार-बार निर्देश दिए जाने के बाद भी उन्होंने प्रो-वीसी, रजिस्ट्रार, वित्त अधिकारी, लेखाधिकारी, परीक्षा नियंत्रक, पुस्तकालयाध्यक्ष, डीन आफ कालेज, डायरेक्टर आफ साउथ कैंपस, कालेजों में प्रधानाचार्य के खाली पड़े पदों को जानबूझ कर लंबे समय तक खाली रखा। इसके साथ ही वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को लेकर होने वाली बैठक में शामिल नहीं हो रहे थे।

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