पुलिस ने अपराध के दलदल में फंसे युवाओं का थामा हाथ, सामाजिक सरोकार सिखाकर दिलाया रोजगार

कोरोना काल में दिल्ली पुलिस ने युवा योजना के तहत एक हजार से अधिक युवाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मी का प्रशिक्षण देकर बेहतर रोजगार मुहैया कराया है। इनमें अधिकतर ऐसे युवा हैं जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 05:32 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 05:32 PM (IST)
पुलिस ने अपराध के दलदल में फंसे युवाओं का थामा हाथ, सामाजिक सरोकार सिखाकर दिलाया रोजगार
दिल्ली पुलिस की युवा योजना के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मी का प्रशिक्षण देते चिकित्सक

धनंजय मिश्रा, नई दिल्ली। अपनी उस गलती पर बार-बार खुद को कोसता हूं जब पैसे की जरूरत, लालच ने मुझे अपराध के अंधकार में धकेल दिया था। सरेआम चेन स्नैचिंग कर बैठा था, लेकिन कहते हैं कि जिंदगी औंधे मुंह गिराती है तो उठना भी सिखाती है। हां, इस बार हाथ थामने वाले वर्दीधारी पुलिसकर्मी हैं। जिन्होंने मेरे भीतर के अपराध से इतर भी मुझे समझा और आज महामारी जैसे संकट में अस्पतालों में दूसरों की सेवा का अवसर दिया। यह कहानी किसी एक युवा की नहीं है, ऐसे सैकड़ों युवाओं की है जिन्हें दिल्ली पुलिस ने अपनी एक प्रेरक मुहिम के तहत समाज की मुख्यधारा में लाकर स्वास्थ्य और सामाजिक सरोकार से जोड़ा। साथ में, रोजगार भी दिया ताकि आर्थिक लाचारी में इनके कदम फिर न भटकें।

तैयार किए कोरोना योद्धा

कोरोना काल में दिल्ली पुलिस ने 'युवा' योजना के तहत एक हजार से अधिक युवाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मी का प्रशिक्षण देकर बेहतर रोजगार मुहैया कराया है। इनमें अधिकतर ऐसे युवा हैं, जिनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है। कुछ ऐसे भी हैं, जो आर्थिक जरूरतों, गलत संगत के कारण भटककर अपराध की राह पर चले गए थे। इस वर्ष अब तक 1,049 युवक व युवतियों को निशुल्क प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है। इनमें 130 युवाओं को रोजगार भी मुहैया कराया गया है।

आज ये युवा महामारी की तीसरी लहर से निपटने को फ्रंटलाइन वर्कर्स बनकर दिल्ली-एनसीआर के बड़े अस्पतालों व पैथालाजी लैब में काम कर रहे हैं। जहां उन्हें 12 हजार से 20 हजार रुपये तक मासिक वेतन भी मिल रहा है। दिल्ली पुलिस की प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में निपुण ऐसे दस हजार युवाओं की फौज तैयार करने की योजना है।

पुलिस ने किया अस्पतालों-लैब से संपर्क

युवा पहल से जुड़े पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) चिन्मय बिस्वाल ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में बहुत भयावह हालात देखे। पूरा स्वास्थ्य ढांचा चरमरा गया था। स्वास्थ्यकर्मियों की कमी का संकट था। तब उसी समय इस मोर्चे को संभालने की जिम्मेदारी ली। अब अगस्त माह के अंत तक तीसरी लहर के आने की भी आशंका जताई जा रही है। ऐसे में पिछली चुनौतियों से सबक लेकर आगे बढऩा है।

इन युवाओं को अस्पतालों से जोड़ने के लिए हमने अपने ही स्तर पर निजी अस्पतालों व पैथालाजी लैब से संपर्क किया। उन्हें इसके लिए तैयार किया और प्रशिक्षण का महाअभियान शुरू हुआ। इसके लिए 10वीं और 12वीं पास बेरोजगार युवाओं को तलाशा गया। चेन स्नैचिंग, झपटमारी जैसे अपराध करने वालों की भी मानसिक स्थिति को हमने समझा और उनके अपराध के कारणों का आकलन करते हुए सामाजिक सरोकार के साथ रोजगार से जोड़ा। इसके बहुत अच्छे परिणाम आए हैं। दिल्ली में अभी 23 प्रशिक्षण केंद्र संचालित हो रहे हैं।

अस्पतालों में ये ले रहे प्रशिक्षण 

-अग्रिम पंक्ति के कोविड स्वास्थ्य कर्मी

-सामान्य ड्यूटी सहायक

-आपात स्वास्थ्य टेक्नीशियन

-एंबुलेंस चालक

-घरेलू स्वास्थ्य सहायक कर्मी

इन कार्यों में हो रहे निपुण

-कोरोना संक्रमित मरीजों का रक्तचाप, शुगर, शरीर का तापमान मापना

-आक्सीजन व मास्क लगाना तथा उसके स्तर की जांच करना

-भाप देने की प्रक्रिया

-चिकित्सकों के साथ समन्वय

-घरेलू स्वास्थ्य सहायक का कार्य

प्रशिक्षण के बाद यहां कर रहे काम 

-सेवा भारती डायग्नोस्टिक सेंटर

-फोर्टिस अस्पताल

-मैक्स अस्पताल

-सरोज ग्रुप आफ हास्पिटल

-महाराजा अग्रसेन अस्पताल

-एसकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल

-संत परमानंद अस्पताल

-तीरथ राम अस्पताल

सभी युवाओं में सीखने की ललक है। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें सिखाने में कोई समस्या नहीं हुई। पुलिस के सहयोग से बेरोजगार युवाओं को रोजगार के साथ सेवा करने का अवसर भी प्राप्त हो रहा है, यह बहुत सराहनीय है। संक्रमण की संभावित तीसरी लहर में इन फ्रंटलाइन वर्कर्स के सहयोग से स्वास्थ्य विभाग की स्थिति और बेहतर हो जाएगी।

-ब्रिगेडियर एम खजुरिया, कार्यपालक निदेशक, सरोज ग्रुप आफ हास्पिटल

दिल्ली पुलिस के सहयोग से न केवल मुझे फार्मेसी का प्रशिक्षण मिला, बल्कि एक अच्छी नौकरी भी मिली है। दिल्ली पुलिस की यह योजना युवाओं को एक बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध करा रही है।

-करिश्मा हांडा, केशवपुरम

आर्थिक लाचारी के चलते कदम अपराध की ओर बढ़ गए थे, लेकिन पुलिस ने हाथ थामकर उस दलदल से निकाल लिया। आज 15 हजार रुपये मासिक की नौकरी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर पा रहा हूं।

-आदित्य कुमार (बदला हुआ नाम)

गरीबी और गलत संगत के कारण भटक गया था, दोस्तों के साथ मिलकर चोरी जैसे काम किए लेकिन जिस पुलिस ने इस गलती के लिए पकड़ा आज उसी के माध्यम से आत्मसुधार के साथ सामाजिक सरोकार से भी जुड़ने योग्य बन सका। यह मेरे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव है। अब मैं लोगों की सेवा करने के साथ ही अपनी आर्थिक बदहाली भी दूर कर पा रहा हूं।

-रामू (बदला हुआ नाम)

chat bot
आपका साथी