पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की बढ़ी रफ्तार से चिंता, दिल्ली-एनसीआर की हवा के लिए अगले 25 दिन काफी अहम
दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा के लिए अगले 25 दिन काफी अहम होंगे। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए गठित टीमों को मैदान में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...
नई दिल्ली, जेएनएन। मानसून की वापसी के साथ ही दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा में जिस तेजी से बदलाव दिख रहा है, उनमें अगले 25 दिन काफी अहम होंगे। फिलहाल बढ़ते प्रदूषण के साथ पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी को देख वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस काम में लगी सभी एजेंसियों और राज्य सरकारों को सतर्क कर दिया है। साथ ही पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम के लिए गठित टीमों को मैदान में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या कहते हैं पिछले साल के आंकड़े
वैसे भी पिछले साल पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं 12 अक्टूबर से छह नवंबर तक रिपोर्ट हुई थीं। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, ये 25 दिन इसलिए अहम हैं क्योंकि यही पराली जलाने का सीजन है और दीपावली भी है। दोनों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा रहता है। ऐसे में इसे रोकने की बड़ी चुनौती है। हालांकि पराली जलाने के पिछले साल के आंकड़ों को देखें तो दावों के विपरीत पंजाब में पराली खूब जली।
2020 में पंजाब में कुल 76,590 घटनाएं
मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में पंजाब में पूरे सीजन में पराली जलाने की कुल 76,590 घटनाएं रिपोर्ट हुई थीं जो 2019 की तुलना में करीब 45 प्रतिशत ज्यादा थीं। पंजाब में वर्ष 2019 में पराली जलाने की 52,991 घटनाएं दर्ज हुई थीं। वहीं, हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में कमी दर्ज हुई थी। वर्ष 2019 में वहां कुल 6,652 घटनाएं रिपोर्ट हुई थीं, जबकि वर्ष 2020 में कुल 4,675 घटनाएं रिपोर्ट हुईं।
ये वजहें भी जिम्मेदार
बाकी प्रदूषण के पीछे आंतरिक वजहें जिम्मेदार हैं, इनमें धूल और वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण सबसे अहम है। फिलहाल पराली जलाने के अब तक के मामलों को देखें तो पिछले साल के मुकाबले अभी तक तो इनमें कमी दिख रही है, लेकिन इसकी वजह बारिश को भी बताया जा रहा है, जिसके चलते धान कटाई देरी से शुरू हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल नौ अक्टूबर को अकेले पंजाब से पराली जलाने की करीब 200 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जबकि इस साल इस दिन 114 घटनाएं रिपोर्ट हुईं।
सरकार ने उठाए ये कदम
पिछले साल 10 अक्टूबर को करीब 270 घटनाएं रिपोर्ट हुई थीं, जो इस साल इस तारीख पर 150 ही रिपोर्ट हुईं। मंत्रालय ने पराली जलाने से रोकने के लिए भी कुछ कदम उठाए हैं, जिसमें धान की ऐसी प्रजाति की बोआई की गई है, जिसमें इस बार पराली करीब 13 प्रतिशत कम निकलेगी। वहीं, दूसरी फसलों का विकल्प मुहैया कराए जाने के बाद धान की बोआई के रकबे में भी करीब आठ प्रतिशत की कमी हुई है। साथ ही पराली का पशु चारे और पावर प्लांट में ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनी है।