पराली जलाने पर भरना पड़ सकता है हर्जाना, एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लोकसभा में बिल पेश

एनसीआर और आस-पास के इलाकों में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के लिए किसानों को हर्जाना भरना पड़ सकता है। एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए शुक्रवार को लोकसभा में एक बिल पेश किया गया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 09:09 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 10:56 PM (IST)
पराली जलाने पर भरना पड़ सकता है हर्जाना, एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लोकसभा में बिल पेश
एनसीआर में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के लिए किसानों को हर्जाना भरना पड़ सकता है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आस-पास के इलाकों में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के लिए किसानों को भविष्य में पर्यावरणीय हर्जाना भरना पड़ सकता है। एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में जहरीली हवा की समस्या से निपटने के लिए आयोग के गठन संबंधित शुक्रवार को लोकसभा में पेश बिल में यह प्रविधान किया गया है। किसानों और पेगासस जासूसी कांड के मुद्दे पर विपक्ष के भारी शोर-शराबे के बीच इस बिल को सदन में पेश किया गया।

वैधानिक प्राधिकरण स्थापित करने का प्रविधान

इस विधेयक में एनसीआर और इसके आस-पास के इलाकों में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए उपयुक्त शक्तियों के साथ एक वैधानिक प्राधिकरण स्थापित करने का प्रविधान किया गया है। 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश 2021' नामक यह विधेयक पारित होने के बाद हाल ही में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा।

किसानों से क्षतिपूर्ति वसूली का प्रविधान 

विधेयक के मुताबिक आयोग पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण का कारण बनने वाले किसानों पर निर्धारित दर और तरीकों से पर्यावरणीय मुआवजा लगा सकता है और एकत्र कर सकता है।

स्व-नियामकीय तंत्र की दरकार

पर्यावरण मंत्री भूपेंदर यादव की ओर से इस विधेयक के उद्देश्यों और कारणों पर जारी बयान में कहा गया है कि वायु प्रदूषण की समस्या बहुत गंभीर है और इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए देश में एक स्व-नियामकीय तंत्र की जरूरत है जिसकी लोकतांत्रिक रूप से निगरानी की जा सके। यह आयोग पुराने पैनलों का स्थान लेगा और वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जन सहयोग और शोध आदि को प्रोत्साहित करेगा।

मार्च में समाप्त हो गया था पहला अध्यादेश

उल्लेखनीय है कि इस संबंध में कानून की तत्काल आवश्यकता थी और संसद का सत्र नहीं चल रहा था इसलिए 28 अक्टूबर, 2020 को एनसीआर और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश 2020 अधिसूचित किया गया था। लेकिन, इस अध्यादेश को बदलने के लिए एक विधेयक संसद में पेश नहीं किया जा सका। नतीजतन, 12 मार्च, 2021 को अध्यादेश समाप्त हो गया। इसके बाद, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश 2021 को 13 अप्रैल, 2021 को अधिसूचित किया गया था।

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