छत्तीसगढ़ में ढह सकता है नक्सली किला, नक्सलियों पर कहर बनकर टूट रही कोरोना की दूसरी लहर

छत्तीसगढ़ में कोरोना आपदा बस्तर के नक्सल मोर्चे पर फोर्स के लिए बड़ा अवसर लेकर आई है। कोरोना की दूसरी लहर जंगल में छिपे नक्सलियों पर कहर बनकर टूट रही है। संक्रमण के बाद बिना उपचार के वे मारे जा रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 08:54 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 08:54 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में ढह सकता है नक्सली किला, नक्सलियों पर कहर बनकर टूट रही कोरोना की दूसरी लहर
कोरोना की दूसरी लहर जंगल में छिपे नक्सलियों पर कहर बनकर टूट रही है।

अनिल मिश्रा, जगदलपुर। छत्तीसगढ़ में कोरोना आपदा बस्तर के नक्सल मोर्चे पर फोर्स के लिए बड़ा अवसर लेकर आई है। कोरोना की दूसरी लहर जंगल में छिपे नक्सलियों पर कहर बनकर टूट रही है। संक्रमण के बाद बिना उपचार के वे मारे जा रहे हैं। संगठन बिखर रहा है। इस बात की प्रबल संभावना है कि अगर वह कोरोना से निपटने का इंतजाम करने में विफल रहे तो उनका किला ढह जाएगा।

दर्जनों नक्सली कोरोना की चपेट में 

बीते तीन दिनों से जंगल से छन-छनकर खबरें आ रही थीं कि दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के सभी छह डिवीजनों में बड़े नक्सली नेताओं समेत दर्जनों नक्सली कोरोना की चपेट में हैं। ये खतरनाक आंध्र वैरिएंट की जद में आ गए हैं। खबर तो यह भी है कि टेकलगुड़ा मुठभेड़ की साजिश रचने वाली सेंट्रल कमेटी की सदस्य 25 लाख की इनामी सुजाता की कोरोना से मौत हो चुकी है।

पुलिस के हाथ लगे पत्र में सात नक्सलियों के मरने और सौ से ज्यादा के संक्रमित होने का उल्लेख

मंगलवार को पुलिस ने बीजापुर के गंगालूर थाना क्षेत्र के पालनार इलाके में नक्सलियों के एक कैंप पर धावा बोला। नक्सली तो भाग गए पर मौके से अन्य सामान के साथ गोंडी भाषा में लिखा एक पत्र पुलिस ने बरामद किया है। यह किसी नक्सली ने अपने सीनियर महिला कमांडर को लिखा है। पत्र में सात नक्सलियों की कोरोना से मौत और कई नक्सलियों के बीमार होने और कुछ के संगठन छोड़कर भाग जाने का उल्लेख है।

नक्सलियों ने कोरोना की गंभीरता को किया नजरअंदाज

पत्र में इस बात से नाराजगी भी जताई गई है कि कोरोना की गंभीरता को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया। निचले कैडर को सही जानकारी नहीं दी गई।

आइजी पुलिस ने कहा- नक्सली सरेंडर करें तो कराएंगे इलाज

बस्तर आइजी सुंदरराज पी कह चुके हैं कि नक्सलियों की मदद तभी हो पाएगी जब वे आत्मसमर्पण करेंगे। जंगल में उनके लिए डाॅक्टर नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि वे सरकार से लड़ रहे हैं। अगर उन्हें जान बचाना है तो पुलिस के सामने हथियार डालना पड़ेगा। इससे बस्तर में शांति की उम्मीद बलवती हो उठी है।

नक्सली पत्र में अपनों को खोने का दर्द

हस्तलिखित पत्र किसी कामरेड दीदी को संबोधित करते हुए लिखा गया है। इसमें लिखा है कि मैं और मेरे साथी ठीक हैं। मंगू दादा के पैर में तकलीफ थी, जिसका जड़ी-बूटी से इलाज किया गया। संगठन का काम आगे बढ़ाने के लिए हम जनता से मिलने का प्रयास कर रहे हैं, पर इलाके में फोर्स के तीन नए कैंप खुल गए हैं। हमारे 14 लोगों को पुलिस ने जेल में डाल दिया है। संगठन का सदस्य माड़ा घर जाने के नाम पर निकला था, अब गायब है। दक्षिण बस्तर, दरभा व पश्चिम बस्तर डिवीजन के कई साथी बीमारी से लड़ रहे हैं। दक्षिण बस्तर के रूपी, दरभा डिवीजन के सीएनएम कमांडर हुंगा, बटालियन के देवे, गंगा, सुदरू, मुन्नी, रीना की मौत हो गई है। डीवीसी राजेश दादा, सुरेश व मनोज की हालत गंभीर है। जितना सुना हूं, यह बीमारी बहुत जल्दी फैलती है। आपको याद होगा, इस मुद्दे पर मेरी विकास दादा से तीखी बहस भी हुई थी। जोनल कमेटी के सदस्य निचले स्तर तक सही जानकारी नहीं पहुंचाते। हम जिंदा रहेंगे तभी तो क्रांतिकारी आंदोलन को आगे बढ़ा सकते हैं।

पत्र में लिखा: कोरोना तोड़ रहा नक्सलियों की कमर

पत्र में आगे लिखा है, बीमारी के डर से बटालियन के सेक्शन कमांडर बुधराम और विमला भाग गए हैं। सीआरसी कंपनी से भी दो लोग भाग गए हैं। गंगालूर एरिया कमेटी में सभी बीमार होने से रितेश व जोगा भाग गए हैं। दरभा डिवीजन से भी नागेश, सुमित्रा, अनिता पार्टी छोड़ दिए हैं। कोंटा प्लाटून से रूपेश अचानक घर भाग गया है। हमारे पास उपलब्ध दवा का इस बीमारी में कोई असर नहीं हो रहा है। राशन आपूर्ति में भी समस्या है। डेढ़ साल से स्थाई नेतृत्व न होने से महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिए जा पा रहे हैं। दीदी, आपकी बात सभी सुनते हैं। आप इस विषय पर जल्द निर्णय लें नहीं तो जान बचाने के लिए सभी कैडर्स गांव, परिवार की ओर भाग जाएंगे। आप भी अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

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