नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह बोले, समुद्री लुटेरे और ड्रग तस्करी हैं अंतरराष्ट्रीय समुद्री खतरा
नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने समुद्री लुटेरे और ड्रग तस्करी को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति का खतरा माना है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने समुद्री लुटेरे और ड्रग तस्करी को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति का खतरा माना है। इसके साथ ही नौसेना प्रमुख ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में समान विचार रखने वाली नौसेनाओं के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना प्रतिबद्ध है। सामूहिक सैन्य क्षमता के इस्तेमाल के लिए उन्होंने नौसेनाओं की बेहतर कार्यप्रणाली की आपसी सीख की वकालत भी की है।
समुद्र की प्रकृति एकजुट करती है
रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों की चौथी बैठक को संबोधित करते हुए एडमिरल सिंह ने कहा, 'समुद्र में जाने वाले बलों के लिए सहयोग एक महत्वपूर्ण शब्द है। समुद्र की प्रकृति ऐसी है जो बांटता नहीं है बल्कि एकजुट करता है। इसे संपर्क का हाईवे कहा जाता है। इसलिए नौसेना अपनी प्रकृति में सहयोगी क्षेत्र में काम करती है।' उन्होंने कहा कि समुद्र और महासागर का असीम विस्तार भी नौसेना को इस वास्तविकता का अनुभव कराता है कि यहां कोई अकेला नहीं है। इसीलिए यह नौसेना के डीएनए का हिस्सा बन गया है।
नौसेना प्रमुख ने कहा, 'कई तरह के समुद्री खतरे और साझी चुनौतियां हैं। उदाहरण के लिए एक देश में समुद्री लुटेरे हमले करते हैं तो उसके बाद ड्रग तस्करी जिसे हम नार्को-आतंकवाद कहते हैं उसका नंबर आता है। मानव तस्करी और गैरकानूनी रूप से मछली पकड़ना भी ऐसी चुनौतियों में शामिल है। ये सभी ट्रांस-नेशनल या अंतर-क्षेत्रीय प्रकृति के हैं।'
सैनिकों को दिया जाएगा आइटी सेक्टर की नौकरियों के लिए प्रशिक्षण
भारतीय सेना और नेशनल एसोसिएशन ऑफ साफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) अगले सप्ताह बेंगलुरु में एक मंच पर आएंगे। सैनिकों को आइटी सेक्टर में आधुनिक औद्योगिक जरूरतों का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि विशेषज्ञता हासिल कर वे इस क्षेत्र में नौकरियां हासिल कर सकें। यह पहल इसलिए की जा रही है क्योंकि पूर्व में कई बहुराष्ट्रीय फर्म सेना से रिटायर हुए जवानों को उनके लगाव के बावजूद नौकरी देने में विफल रहीं।
इसका कारण सैनिक तकनीकी रूप से और कारपोरेट जगत की संस्कृति से भिन्न पाए गए थे। आइटी सेक्टर के विशेषज्ञों के अनुसार इस कदम का उद्योग में व्यापक असर देखने को मिलेगा। यह कदम भारतीय सेना, नैसकॉम और अमेरिका की बहुराष्ट्रीय वित्तीय सेवा फर्म वेल्स फार्गो संयुक्त रूप से उठा रही हैं। इस कदम को बहुराष्ट्रीय ई-कामर्स फर्म अमेजन इंडिया का भी समर्थन हासिल है।