Bandhavgarh Tiger Reserve: टाइगर रिजर्व घूमने के साथ आसां हुआ नेचर वॉक, युवकों को मिला रोजगार

प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दो स्थानीय युवकों ने आत्मनिर्भरता के लिए नई राह निकाली है। वे यहां आने वाले पर्यटकों को सामान्य जंगल सफारी के साथ ही नेचर वॉक यानी जंगल की खूबसूरती का नजदीक से दीदार करवा रहे हैं और इसके जरिए उन्हें कमाई भी हो रही है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 05:18 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 05:18 PM (IST)
Bandhavgarh Tiger Reserve: टाइगर रिजर्व घूमने के साथ आसां हुआ नेचर वॉक, युवकों को मिला रोजगार
Bandhavgarh Tiger Reserve: जंगल में आत्मनिर्भरता की जुगत

उमरिया, संजय कुमार शर्मा। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में प्रकृति का सान्निध्य पाने की लालसा रखने वालों के लिए दो स्थानीय युवकों ने नई राह तलाश लिया है। इसके जरिए इन दोनों ने  खुद के लिए कमाई का जरिया भी ढूंढ लिया है। दरअसल, ये युवक लोगों को रिजर्व का सैर करने आने वाले पर्यटकों को सफारी के साथ्र प्रकृति का सुंदर  सान्निध्य मुहैया करा रहे हैं। इसके लिए जंगल के बाहरी इलाके यानि बफर जोन में रहने वाले आदिवासी समुदायों की ओर से मदद दी जा रही है। आने वाले पर्यटक इन आदिवासियों के घरों पररकते हैं और खान-पान भी इनके साथ ही करते हैं और इन दो युवकों के साथ पैदल ही जंगल की सैर पर निकल जाते हैं।  

नई जुगत से हो रही कमाई 

इससे पर्यटक जंगल, जमीन, और आदिवासी भोजन व संस्कृति को नजदीक से महसूस करते हैं। इस नई जुगत से बिना किसी निवेश के युवकों को अच्छी आमदनी भी हो रही है। इसी इलाके में रहने वाले पुष्पेंद्रनाथ द्विवेदी और अशोक सिंह ने एक साल पहले इसकी शुरुआत की थी और अब उन्होंने बढि़या नेटवर्क तैयार कर लिया है। पर्यटकों को भी यह 'नेचर वॉक' पसंद आ रहा है। दोनों को एक या दो दिन के दस हजार रुपये तक मिल जाते हैं। युवक स्थानीय गाइड, जिप्सी चालकों और होटल कर्मचारियों की मदद से पर्यटकों से संपर्क करते हैं। उनके राजी होने पर अधिकारियों से जंगल भ्रमण की अनुमति लेते हैं। दरअसल, नियमित जंगल सफारी तय समय, तय रूट पर जिप्सी से ही होती है। इससे जंगल प्रेमी उतना आनंद नहीं उठा पाते जितना इस नेचर वॉक में संभव हो पाता है। 

तैयार किया अच्छा नेटवर्क 

युवकों ने बांधवगढ़ के मानपुर रेंज के ग्राम दमना, गाटा, घघोड़, दुलहरा, बांसा और धमोखर रेंज के ग्राम परासी, मझौली, महामन, मरदरी के साथ ही खितौली रेंज के कई गांवों में अपने जैसे ही युवकों का नेटवर्क तैयार कर लिया है। इन तीन रेंज के 16 गांव में प्रतिदिन 40 से 50 पर्यटकों को नेचर वॉक करवाया जा रहा है। इन गांव के 30 से 35 युवकों को इससे आय हो रही है। पुष्पेंद्रनाथ कहते हैं कि उन्होंने महसूस किया था कि पर्यटक जिप्सी के बजाय जंगल की पैदल सैर की इच्छा रखते हैं। इसी विचार से सबसे पहले उन्होंने 15 पर्यटकों के एक दल को मानपुर बफर में 'नेचर वॉक' करवाया था। अब पर्यटक इसे पसंद करने लगे हैं इसलिए दोनों ने और भी लोगों को अपने साथ जोड़ा है। रेलवे के पूर्व जीएम आलोक दवे ने हाल ही में 'नेचर वॉक' किया। दवे को वहां सहजन की पकौड़ी बहुत पसंद आई। वे कहते हैं कि मैंने भैंस का अपने सामने दुहा दूध पीया, बहुत अच्छा लगा। 

सुरक्षा का रखते हैं पूरा ध्यान 

पर्यटकों का 'नेचर वॉक' पूरी तरह सुरक्षित रहे इसलिए उन्हें केवल उन जगहों पर ही ले जाया जाता है जहां कोई खतरा न हो। गांव के जानकार लोग पर्यटकों के साथ चलते हैं। ये उनके गाइड होते हैं और सुरक्षाकर्मी भी। बांधवगढ़ के एसडीओ (वन) अनिल शुक्ला ने बताया कि बफर जोन के गैर प्रतिबंधित क्षेत्रों में कोई खतरा नहीं होता है। इसके अलावा स्थानीय युवा यहां की परिस्थितियों के जानकार होते हैं।

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