विमानों से गिरने वाले 'मलमूत्र' पर सीपीसीबी को फटकार

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील ने पीठ को बताया कि सीपीसीबी के पास जांच के लिए उपकरण ही नहीं हैं। इससे पहले बोर्ड ने मानव मल के होने के सुबूत मिलने की बात कही थी।

By Tilak RajEdited By: Publish:Fri, 01 Dec 2017 09:18 AM (IST) Updated:Fri, 01 Dec 2017 09:18 AM (IST)
विमानों से गिरने वाले 'मलमूत्र' पर सीपीसीबी को फटकार
विमानों से गिरने वाले 'मलमूत्र' पर सीपीसीबी को फटकार

नई दिल्ली, पीटीआइ। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में एक बार फिर से विमानों से मलमूत्र गिरने का मामला उठा है। इस मामले पर लगातार रुख बदलने से नाराज ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को फटकार लगाते हुए मानव और परिंदों के मलमूत्र पर स्पष्ट रुख अपनाने को कहा है। एनजीटी ने बुधवार को रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल सतवंत सिंह दहिया की अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

पूर्व सैन्य अधिकारी ने अपनी अर्जी में आरोप लगाया है कि दीपावली से पहले दक्षिण दिल्ली स्थित उनके मकान पर विमान से गिरने वाला मलमूत्र बिखरा पड़ा था। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने ट्रिब्यूनल के प्रमुख (रिटायर्ड) जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि उड़ान के दौरान बीच हवा में विमानों के शौचालय से मलमूत्र गिरना असंभव है। आवेदक के घर पर चिडि़यों की विष्ठा गिरी होगी। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी को मलमूत्र का जांच करने का आदेश दिया।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील ने पीठ को बताया कि सीपीसीबी के पास जांच के लिए उपकरण ही नहीं हैं। इससे पहले बोर्ड ने मानव मल के होने के सुबूत मिलने की बात कही थी। इस पर ट्रिब्यूनल ने सीपीसीबी को कड़ी फटकार लगाई और अपना रुख स्पष्ट करने को कहा। साथ ही आश्चर्य जताया कि इतना बड़ा संगठन होने के बावजूद सीपीसीबी के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, जिससे मलमूत्र की जांच की जा सके।

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