आयुष्मान भारत के लाभार्थियों तक पहुंचेगी सरकार, गांव-गांव जाकर बनाया जा रहा कार्ड, जानें सरकार का लक्ष्य

आयुष्मान भारत योजना के तीन साल पूरे होने के बावजूद उसके लाभार्थियों तक पहुंचना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। अभी तक महज 16 करोड़ लाभार्थियों का ही आयुष्मान कार्ड बन पाया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 09:32 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 03:40 AM (IST)
आयुष्मान भारत के लाभार्थियों तक पहुंचेगी सरकार, गांव-गांव जाकर बनाया जा रहा कार्ड, जानें सरकार का लक्ष्य
आयुष्मान भारत योजना के तीन साल पूरे होने के बावजूद उसके लाभार्थियों तक पहुंचना बड़ी चुनौती बनी हुई है।

नई दिल्ली, जेएनएन। आयुष्मान भारत योजना के तीन साल पूरे होने के बावजूद उसके लाभार्थियों तक पहुंचना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। सरकार के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक इस योजना के तहत 65 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं, लेकिन अभी तक महज 16 करोड़ लाभार्थियों का ही आयुष्मान कार्ड बन पाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने अगले एक साल के भीतर सौ फीसद लाभार्थियों का आयुष्मान कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा है।

पीएम मोदी ने की तारीफ 

इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना के तीन साल पूरे होने पर इसकी सराहना की है। एएनआइ के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार कम कीमत पर उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में स्वास्थ्य सुविधा की अहमियत को ज्यादा स्पष्ट रूप से समझा गया।

योजना के विस्तार की जरूरत

आयुष्मान भारत योजना के तीन साल पूरे होने के अवसर पर नेशनल हेल्थ अथारिटी ने इसकी कमियों को दूर कर बेहतर बनाने के लिए तीन दिन का विचार-विमर्श कार्यक्रम रखा है। आरोग्य मंथन के नाम से चलने वाले इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीति आयोग के सदस्य डाक्टर वीके पाल ने योजना के विस्तार की जरूरत बताई लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि मौजूदा लाभार्थियों तक ही इस योजना का लाभ नहीं पहुंच रहा है।

लाभार्थियों की हो रही पहचान

वीके पाल ने कहा कि सरकार का लक्ष्य इस योजना को सार्वभौमिक बनाने का है लेकिन उसके पहले मौजूदा लाभार्थियों तक इसे पहुंचाना होगा। वहीं नेशनल हेल्थ अथारिटी के सीईओ आरएस शर्मा ने बताया कि लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत गांव-गांव जाकर लाभार्थियों की पहचान कर उनका आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा है।

राजनीतिक दलों का भी लिया जाएगा सहयोग

इस साल जनवरी से मार्च के बीच चले अभियान के तहत लगभग 2.5 करोड़ लाभार्थियों के कार्ड बनाए गए थे लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कारण इसकी गति धीमी हो गई। वहीं मनसुख मांडविया ने साफ कर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्वाकांक्षी योजना की सफलता उनकी पहली प्राथमिकता है और इसके लिए हरसंभव कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो इसके लिए राजनीतिक दलों का भी सहयोग लिया जाएगा।

अस्पतालों को 26 हजार करोड़ का भुगतान

मांडविया ने कहा कि अगले एक साल के भीतर सभी लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें आयुष्मान कार्ड देना हमारा लक्ष्य है। आरएस शर्मा ने आयुष्मान भारत की तीन साल की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि इसके तहत 2.2 करोड़ लाभार्थियों का मुफ्त और कैशलेस इलाज किया जा चुका है। उनके इलाज के लिए आयुष्मान भारत से संबद्ध लगभग 24 हजार अस्पतालों को 26 हजार करोड़ का भुगतान किया गया है।

अस्पतालों की शिकायत की जा रही दूर

आरएस शर्मा ने कहा कि इस योजना के तहत होने वाले इलाज के लिए कम भुगतान की निजी अस्पतालों की शिकायत को दूर किया जा रहा है। विभिन्न बीमारियों के इलाज के पैकेज में सुधार किया गया है। इसके साथ अस्पतालों में इलाज और भुगतान की निगरानी की नई प्रणाली भी तैयार की गई है।

27 को डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का एलान करेंगे पीएम मोदी

वहीं समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुता‍बिक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 27 सितंबर को प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन (पीएमडीएचएम) का एलान करेंगे। इस योजना का मकसद राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली बनाना है। इसके जरिये मरीज अपने स्वास्थ्य का रिकार्ड सुरक्षित रख सकेंगे और इसे अपनी पसंद के डाक्टरों और स्वास्थ्य संस्थानों के साथ साझा कर सकेंगे।

डिजिटल स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की तैयारी

पीएमडीएचएम का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना है। यह सभी नागरिकों को स्वास्थ्य आइडी के जरिये वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज मुहैया कराएगा। अन्य बातों के अलावा इससे टेलीमेडिसीन और ई-फार्मेसी जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इससे लोगों को प्रभावी, समावेशी, सस्ती और सुरक्षित स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी। 

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