मुस्लिम छात्रा ने संस्कृत में किया शोध, कहा- महाकाव्यों में पर्यावरण की रक्षा का संदेश
प्राचीन भारतीय ग्रंथों में दी गई शिक्षा की अवहेलना से पर्यावरण बिगड़ा है। अंजुम ने कुमारसंभवम् नैषधीयचरितम् शिशुपालवधम् रघुवंशम् और किरातार्जुनीयम् महाकाव्यों को शोध के लिए चुना और इनमें उल्लेखित पर्यावरण से संबंधित बातों को शोध में समाहित किया है।
मोहम्मद रफीक, भोपाल। मध्य प्रदेश के भोपाल में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से अंजुम परवीन ने हाल ही में संस्कृत साहित्य में पीएचडी की है। उनके शोध का विषय 'पंच महाकाव्यों में पर्यावरण' था। सदियों पुराने भारतीय ग्रंथों के अध्ययन में अंजुम ने पाया कि नदियों की सफाई और पर्यावरण को स्वच्छ रखने की जो शिक्षा हमारे ग्रंथों में है, उसे ही हम भूल गए हैं। पर्यावरण को बचाने के लिए बनाई जाने वाली नीतियों के लिए प्राचीन ग्रंथों के पन्ने पलटना आवश्यक है। यदि उनमें बताए गए उपाय और सुझावों पर अमल किया जाए तो समस्या का समाधान किया जा सकता है।
अंजुम ने शोध के लिए इन महाकाव्यों को चुना
अंजुम ने बताया कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों में दी गई शिक्षा की अवहेलना से पर्यावरण बिगड़ा है। अंजुम ने कुमारसंभवम्, नैषधीयचरितम्, शिशुपालवधम्, रघुवंशम् और किरातार्जुनीयम् महाकाव्यों को शोध के लिए चुना और इनमें उल्लेखित पर्यावरण से संबंधित बातों को शोध में समाहित किया है। ये महाकाव्य पहली से सातवीं सदी के मध्य लिखे गए थे। मुस्लिम परिवार की सदस्य अंजुम ने बताया कि उनके संस्कृत से प्रेम पर हमेशा पहले माता-पिता और फिर पति की ओर से प्रोत्साहन मिला।
महाकाव्यों में पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश
महाकाव्यों में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाने और पर्यावरण की रक्षा करने का संदेश दिया गया है। अंजुम फिलहाल गृहिणी हैं और उन्होंने राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान भोपाल के डॉ. धर्मेद्र कुमार सिंह देव के निर्देशन में शोध कार्य किया। उनके को-गाइड बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के प्रो. केबी पंडा थे। अब अंजुम की बेटी भी अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत साहित्य के साथ स्नातक की पढ़ाई कर रही हैं। अंजुम के पति मो. आफताब आलम सेना में कार्यरत थे और उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। स्कूली शिक्षा भोपाल में ही लेने वालीं अंजुम की बचपन से ही संस्कृत में रचि रही है।
अंजुम के शोध से निकले तथ्य
- प्रकृति को सम्मान देने की प्रवृत्ति खत्म हुई है।
- कोई देश पर्यावरण के संकट को दूसरे पर नहीं टाल सकता। सभी को मिलकर इसके निराकरण की दिशा में प्रयास करने होंगे।
- भारतीय ग्रंथों में सभी समस्याओं का समाधान है। इनमें उल्लेखित मार्गदर्शन संसार के लिए पथ प्रदर्शक हो सकते हैं।
- सभी को इनकी शिक्षा देने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- शांति से जीवन जीने का पूरा दर्शन हमारे ग्रंथों में मौजूद है।
- भारतीय दर्शन संसार को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम है।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम्
अंजुम ने अपने शोध का समापन वसुधैव कुटुंबकम् का महत्व बताते हुए किया है। महोपनिषद् से लिए गए श्लोक- अयंनिज: परोवेति लघुचेतसाम्, उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम् (लघु चेतना वाले अपने बारे में सोचते हैं, उदार चरित्र का मंतव्य वसुधैव कुटुंबकम् अर्थात पूरा विश्व ही मेरा परिवार होता है) के माध्यम से अंजुम कहती हैं कि भाषा पर किसी का बंधन नहीं है। ग्रंथो में ज्ञान का अथाह भंडार है। उन्होंने विश्वास जताया कि एक दिन सभी महाद्वीप एक सूत्र में बंधेंगे और भारतीय महर्षियों और महाकवियों का 'सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरमया:' का स्वप्न साकार हो जाएगा।