कोरोना में मिली पैरोल से खुलेआम घूम रहे हत्या और जघन्य अपराध के दोषी, पीड़ि‍तों के परिजनों ने उठाए उठाए सवाल

कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जेलों में बंद सजायाफ्ता अपराधियों को पैरोल की सहूलियत अब तक जारी रहने से पीड़ि‍तों के परिजन सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि दूसरी लहर के बाद अब हालात सामान्य हो चुके। ऐसे में पैरोल को वापस ले लेना चाहिए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 07:56 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 07:56 PM (IST)
कोरोना में मिली पैरोल से खुलेआम घूम रहे हत्या और जघन्य अपराध के दोषी, पीड़ि‍तों के परिजनों ने उठाए उठाए सवाल
जेलों में बंद सजायाफ्ता अपराधियों को पैरोल की सहूलियत

आनंद दुबे, भोपाल। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जेलों में बंद सजायाफ्ता अपराधियों को पैरोल की सहूलियत अब तक जारी रहने से पीड़ि‍तों के परिजन सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि दूसरी लहर के बाद अब हालात सामान्य हो चुके। ऐसे में पैरोल को वापस ले लेना चाहिए। कुछ ने पैरोल रद करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका भी लगाई है। पूरे प्रदेश में करीब पांच हजार बंदी पैरोल पर हैं। कोरोना काल की दोनों लहर में अभी तक अपराधी 450 दिन के पैरोल का लाभ उठा चुके हैं।

पैरोल मिलने से खुलेआम घूम रहे हैं अपराधी

राजधानी भोपाल के पद्मनाभन नगर निवासी गोल्डी बग्घा ऑटो डील का काम करते थे। एक कार को लेकर हुए मामूली विवाद में चार जुलाई 2013 को दिग्विजय और अनूप सिंह सहित चार बदमाशों ने गोल्डी की हत्या कर दी थी। इस मामले में कोर्ट ने 2017 में दिग्विजय और अनूप को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पैरोल मिलने पर दोनों अपराधी खुले घूम रहे हैं। गोल्डी के भाई सतवंत सिंह बताते हैं कि हत्यारों को मिल रही सहूलियत अब बंद होनी चाहिए।

चेहरे देखते ही याद आ जाता है मंजर

होशंगाबाद के संदीप वर्मा बताते हैं कि भाई के हत्यारों को खुला देखकर उन्हें घटना का मंजर याद आ जाता है। उन्होंने बताया कि उनका भाई विकास वर्मा शराब ठेकेदार था। 28 मई 2015 को इटारसी में नानू संजय राव और बाबुल उर्फ रोहित ने विकास की हत्या कर दी थी। वर्ष 2018 में कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दोनों कोरोना पैरोल पर हैं। कोरोना काल के पहले हत्यारों ने पैरोल के लिए आठ बार हाईकोर्ट और एक बार सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी लेकिन हर बार उन्होंने अपना पक्ष रखकर याचिका खारिज करा दी थी। अब पैरोल रद्द करने के लिए उन्होंने फिर हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। जेलों में 95 फीसद टीकाकरण हो चुका है। इसके बाद संक्रमण का खतरा भी अब नहीं रहा।

कोरोना की दूसरी लहर के बाद अब सामान्य स्थितियां बनती जा रही हैं। वर्तमान में लंबे समय तक से जारी पैरोल को खत्म करना उचित रहेगा।

- नीरज तिवारी, वरिष्ठ अधिवक्ता

उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बंदियों को पैरोल पर छोड़ा गया है। इसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।

- अरविंद कुमार, महानिदेशक, जेल

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