अगर आपको मिलती है वक्त रहते बच्चा पैदा करने की नसीहत, तो यह खबर जरूर पढ़ें
अब 50 की उम्र में मां बनना मुश्किल नहीं होगा।प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विज्ञान की प्रगति के कारण बढ़ती उम्र में मातृत्व की संभावना एक वास्तविकता है।
नई दिल्ली (एएनआइ)। जमाना तेजी से बदल रहा है और इस बदलते दौर को 'फास्ट रनिंग लाइफ' कहा जाने लगा है। इस दौर में लोगों की सोच और नजरिया दोनों बदला है। आज के दौरे में अपने करियर, पसर्नल व मैरिड लाइफ और यहां तक की माता-पिता बनने की दिशा में भी महिलाओं व पुरुषों की सोच में तब्दीली देखने को मिली है। लोग देर से शादी कर रहे हैं और देर से बच्चे भी पैदा कर रहे हैं। लेकिन अक्सर आपने घर में बड़े-बुजुर्गों के मुंह से यह जरूर सुना होगा कि वक्त पर शादी हो जानी चाहिए, वक्त पर बच्चे हो जाने चाहिए... नहीं तो बड़ी दिक्कत होगी। अब यह दिक्कत क्या है? इसका भी जवाब है, देर से बच्चे पैदा करने की वजह से मां की सेहत को खतरा रहता है। माना जाता है कि 40-50 की उम्र में महिलाएं बच्चा पैदा नहीं कर सकती। क्योंकि यह उम्र मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) की होती है यानी अंडाशयों द्वारा हार्मोन का उत्पादन बंद हो जाना। हालांकि उनका यह कहना भी सही है, लेकिन बदलते दौर में साइंस और टेक्नोलॉजी ने इस समस्या का भी निवारण ढूंढ निकाला है। अब 50 की उम्र में मां बनना मुश्किल नहीं होगा।
अगर आप दोबारा मां बनना चाहती हैं या फिर पहली बार मां बनना चाहती हैं, वो भी उम्र के उस पड़ाव में जब रजोनिवृत्ति यानी मेनोपॉज की संभावनाएं होती है। तो अब आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। अब बेहतर अवसर और अधिक सफलता दर के साथ उम्र में इस पड़ाव में भी मां बनने की संभावना है। एक ओर अग्रिम चिकित्सा (medical advances) ने करियर उन्मुख, स्वतंत्र महिलाओं को यह विकल्प दिया है कि वे गर्भावस्था को देरी से प्लान कर सकती हैं। वहीं, दूसरी ओर उन महिलाओं के लिए भी संभावनाएं उत्पन्न की हैं जो बढ़ती उम्र में दूसरा या तीसरा बच्चा चाहती हैं। ऐसी महिलाएं भी हैं जिन्होंने देर से शादी की हो, या जो दूसरी शादी से बच्चा चाहती हैं। कुछ महिलाएं ऐसी भी है जो करियर को बनाने में काफी व्यस्त हैं, या फिर वो महिलाएं जो दूसरा बच्चा प्लान करने के बारे में सोच रही हो, लेकिन लंबे ब्रेक के बाद यानी लेट प्रेगनेंसी प्लानिंग। लेकिन अब इस टेंशन को लेने की जरूरत नहीं है। डॉक्टर कुसुम साहनी हमको बता रही हैं, आखिर लेट प्रेगनेंसी प्लानिंग से डरने की जरूरत अब क्यों नहीं है।
दिल्ली स्थित फोर्टिस ला फेम अस्पताल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुसुम साहनी बताती हैं, '30 की उम्र के शुरुआती दिनों में बच्चे की अगर प्लानिंग कर रहे हैं, तो इस उम्र में गर्भावस्था की संभावना अधिकतम होती है। हालांकि महिलाओं की एक बड़ी संख्या इस उम्र के बाद गर्भवती होना चाहती हैं। 40 या 50 की उम्र में मां बनना मुश्किल जरूर है, लेकिन अब असंभव नहीं है।' हालांकि, डॉ साहनी के अनुसार, देर से गर्भावस्था की अपनी सीमा है। दरअसल, बढ़ती उम्र की महिलाओं को स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ता है। जिसमें गर्भावस्था के मधुमेह और उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), डाउन सिंड्रोम, आईयूजीआर, गर्भास्य में बच्चे की मौत या फिर प्रीमैच्योर बर्थ का जोखिम शामिल है।
हालांकि प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विज्ञान की प्रगति के कारण बढ़ती उम्र (40 या 50 की उम्र) में मातृत्व की संभावना एक वास्तविकता है। 40 के बाद गर्भवती होने के तीन तरीके हैं, प्रत्येक अपनी सफलता की संभावना के साथ हैं।
- प्राकृतिक गर्भाधान (Natural conception)
- पात्रे निषेचन या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (अपने अंडाणु का उपयोग करके)
- पात्रे निषेचन (IVF) (डोनर का अंडाणु का उपयोग करके)
- 50 की उम्र में नेचुरल प्रेगनेंसी
प्रजनन आपकी उम्र पर आधारित है। महिला जितनी ज्यादा उम्र की होती, उतनी ही कम गर्भधारण की संभावना होंगी। आज स्वास्थ्य के प्रति जागरूक महिलाएं अपने यौवन को बनाए रखने के लिए बहुत पैसा खर्च करती हैं, लेकिन वास्तविकता का सामना 30 की उम्र के बाद गर्भवती होने की कोशिश करने के समय होता है। एक महिला जन्म के समय सभी अंडाणु के साथ पैदा होती है, इस प्रकार 30 उम्र पार की महिलाओं के स्वस्थ अंडाणु होने की संभावनाएं कम होती हैं, जिस कारण गर्भवती होने की संभवाना भी कम हो जाती है। इसलिए, विकृत (कुरूप) बच्चों को होने का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। 20 की उम्र के दौर में जेनेटिक डिसऑर्डर के साथ पैदा होने वाले बच्चों की संभावना 2500 में एक होती है, जबकि 40 की उम्र में यह संभावना 350 में एक हो जाती है।
पात्रे निषेचन (IVF- अपने अंडाणु का उपयोग करके)
गुरुग्राम स्थित कोलंबिया एशिया अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग कंसल्टेंट डॉ. रितु सेठी ने बताया, 'पात्रे निषेचन यानी IVF में गर्भावस्था की संभावनाओं को अधिकतम करने के लिए अंडाशय से प्राप्त परिपक्व अंडे को उर्वरक की जटिल प्रक्रिया है। अनुर्वरता (Infertility) कई कारकों जैसे फलोपियन ट्यूब में क्षति या अवरोध होना, एंडोमीट्रिओसिस, शुक्राणु गतिशीलता में कमी आना और ओवुलेशन में गड़बड़ी हो सकती है। ओवरी से अण्डे के बाहर आने की क्रिया को ओवुलेशन कहते हैं। बढ़ती उम्र में अपने अंडे का उपयोग कर गर्भ धारण करने का सफलता दर काफी कम है।
हालांकि, अगर किसी ने कम उम्र में एग फ्रीजिंग करा रखी होती हैं, तो उनको उर्वरित करने के लिए क्लीनिकों की सहमति की संभावना अधिक होती हैं।
पात्रे निषेचन (IVF-डोनर का अंडाणु का उपयोग करके)
50 की उम्र होते-होते, जब रजोनिवृत्ति तक पहुंचने की उम्र आ जाती है, तब मातृत्व की ओर बढ़ने की संभावना काफी जटिल होती हैं। हालांकि युवा अंडाणु डोनर की मदद से 50 की उम्र में भी महिलाओं के गर्भवती होने की सफल संभावना होती है। हालांकि कुछ ऐसे कारक हैं, जिनका क्लिनीक 50 की उम्र की महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान मदद करने के लिए ध्यान में रखते हैं। जिसमें सबसे अहम यह है कि बच्चे की गर्भ में धारण करने के लिए मां का अच्छे स्वास्थ्य में होना जरूरी है।
डॉ. सेठी ने कहा, 'औसतन, 45 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के डोनर अंडाणु की मदद से गर्भावस्था का सफलता दर उससे ज्यादा की उम्र की महिलाओं की तुलना में अधिक है। इसलिए वो महिलाएं जो प्रेंगनेंसी की प्लानिंग 35-40 या उसके बाद की उम्र में करती हैं, उन्हें तकनीकी जानकारी का उपयोग करना चाहिए। या फिर अपने एग फ्रीजिंग तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए। ताकि आप जब चाहें गर्भ धारण कर सकते हैं। जिससे आपसे यह कोई नहीं कर सकेगा कि उम्र निकल गई, तो मां बनना मुश्किल होगा।