मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के शिकार होने से बचाए 1.70 लाख करोड़, 351 योजनाओं में सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंची रकम

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार पर नकेल कसी है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचाने के साथ ही सरकार के 1.70 लाख करोड़ रुपये बच भी गए हैं। पहले यह धन भ्रष्टाचार का शिकार हो जाता था...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 06:03 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 06:03 AM (IST)
मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के शिकार होने से बचाए 1.70 लाख करोड़, 351 योजनाओं में सीधे लाभार्थियों के खातों में पहुंची रकम
मोदी सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने से बचाए हैं...

नई दिल्ली, आइएएनएस। जन धन खातों के जरिये लाभार्थियों को सरकारी योजनाओं की धनराशि सीधे भेजे जाने से आमजनों के साथ ही सरकार को भी बड़ा लाभ हुआ है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचाने के साथ ही सरकार के 1.70 लाख करोड़ रुपये बच भी गए हैं। पहले यह धन भ्रष्टाचार का शिकार हो जाता था और बिचौलियों के बीच इसकी बंदरबांट हो जाती थी।

योग्य लाभार्थियों और सरकार को यह फायदा केंद्र के डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के चलते हुआ। इसके जरिये 51 मंत्रालयों की 351 योजनाओं में लाभार्थियों को उनके बैंक खातों में धन दिया गया। जन धन-आधार-मोबाइल के जरिये जेएएम ट्रिनिटी ने डीबीटी को और कारगर बनाया। इस सबके चलते सरकार का पैसा सीधे जनता के हाथ में पहुंचा। मोदी सरकार के पिछले छह साल के कार्यकाल में डीबीटी के जरिये 12,95,568 करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में डाले गए।

वर्ष 2020-21 में 2,10,244 करोड़ रुपये मनरेगा, जन वितरण प्रणाली, प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य में वितरित किए गए। मनरेगा में काम करने वाले लोगों को जॉब कार्ड दिया गया और उनके बैंक खाते को आधार से लिंक कर दिया गया। साथ ही तमाम फर्जी लाभार्थियों को पकड़कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। दिसंबर 2019 तक 5.55 लाख फर्जी मजदूरों को योजना से बाहर किया गया। इससे 24,162 करोड़ रुपये की बचत हुई और सही मजदूरों को काम और मजदूरी मिल सकी।

इसी प्रकार से बाल एवं महिला कल्याण मंत्रालय की योजनाओं का लाभ ले रहे 98.8 लाख फर्जी लाभार्थी पकड़े गए। इससे 1,523.75 करोड़ रुपये की बचत हुई। आधार और मोबाइल को जोड़े जाने से राशन वितरण प्रणाली में 66 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई। पहले इतनी धनराशि का राशन बिचौलिये चट कर जाते थे और सरकार व जनता को घाटा होता था। सरकार ने पाया कि 2.98 करोड़ फर्जी राशन कार्ड धारकों के जरिये यह कार्य होता था। 

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