दक्षिण अफ्रीका के घाना में लागू होगी मोदी सरकार की उज्जवला जैसी योजना, भारत देगा तकनीकि मदद
दोनो देशों के बीच इस बारे में एक करार भी हुआ है। समझौते के तहत भारत घाना को एलपीजी से जुड़ी नीति को क्रियान्वित करने में तकनीकी व विशेषज्ञता मुहैया कराएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गरीब जनता को बहुत ही किफायती कीमत पर रसोई गैस एलपीजी कनेक्शन देने की मोदी सरकार की उज्जवला योजना के प्रति कई देश अपनी रुचि दिखा चुके हैं। अफ्रीका का घाना पहला देश बन गया है जिसने उज्जवला के तर्ज पर ही इस तरह की योजना को लागू करने का फैसला किया है और इसमें भारत से तकनीकी मदद भी मांगी है।
बुधवार को दोनो देशों के बीच इस बारे में एक करार भी हुआ है। समझौते के तहत भारत घाना को एलपीजी से जुड़ी नीति को क्रियान्वित करने में तकनीकी व विशेषज्ञता मुहैया कराएगा। समझौते पत्र पर पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान और घाना के राजदूत माइकल एरॉन की मौजूदगी में सरकारी तेल कंपनी इंडियन आयल ने घाना की नेशनल पेट्रोलियम अथॉरिटी के बीच किया गया।
व्यापक अध्ययन के बाद किया गया लागू
घाना की तरफ से उज्जवला का व्यापक अध्ययन के बाद इसे लागू करने का फैसला किया गया है। घाना ने भारत को बताया है कि आर्थिक तौर पर कमजोर तबके को उज्जवला जैसी योजना से काफी आसानी से गैस कनेक्शन दी जा सकती है। इससे घाना की कई समाजिक व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी समाधान निकलेगा। यही वजह है कि घाना ने किसी विकसित देश के बजाय भारत से मदद मांगी है।
गैस इकोनोमी में वर्ल्ड लीडर के तौर पर भारत की एक अलग पहचान
समझौते से इस बात का भी पता चलता है कि भारत गैस इकोनोमी में वर्ल्ड लीडर के तौर पर अपनी पहचान बना रहा है। एक तरफ भारत रूस के सबसे बड़े गैस फील्ड में भारी भरकम निवेश करने का ऐलान कर चुका है तो दूसरी तरफ घाना जैसे कम विकसित देश को तकनीकी मदद दे रहा है। घाना ने कहा है कि भारत की मदद से वह अपनी 50 फीसद आबादी को वर्ष 2030 साफ व स्वच्छ इनर्जी देना चाहता है। सनद रहे भारत ने सिर्फ 5 वर्षो में इस योजना के जरिए 8 करोड़ घरों में गैस कनेक्शन दिया है।
घाना को मदद देने से भारतीय तेल कंपनी आइओसी को अफ्रीका के एक बड़े बाजार में घुसने का मौका मिलेगा। कंपनी धीरे धीरे वहां के दूसरे इंधन बाजार में भी अपनी संभावनाएं तलाश सकती है। अफ्रीका के अधिकांश देश काफी गरीब हैं लेकिन जिस तेजी से उनकी आबादी बढ़ रही है उसे देखते हुए वहां इनर्जी मांग दुनिया में सबसे तेज होने के आसार हैं।