मुंबई में काम-धंधा मंदा, घर लौट रहे आप्रवासी श्रमिकों से भरी ट्रेनें, बसों में दो से ढाई गुना किराया

भोपाल स्टेशन से गुजरी लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर ट्रेन खचाखच भरी थी। गोरखपुर जा रहे 50 वर्षीय फयाजुद्दीन ने बताया कि अभी वे जमीन की नपती करवाने जा रहे हैं। मुंबई में कोरोना संक्रमण के बाद से काम मंदा ही चल रहा है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 09:24 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 09:28 PM (IST)
मुंबई में काम-धंधा मंदा, घर लौट रहे आप्रवासी श्रमिकों से भरी ट्रेनें, बसों में दो से ढाई गुना किराया
ज्यादातर के घर लौटने की वजह लॉकडाउन का डर , गुजर-बसर लायक भी नहीं हो रही कमाई

भोपाल, जेएनएन। मुंबई से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जाने वाली ट्रेनों से एक बार फिर आप्रवासी श्रमिकों और अन्य छोटे-मोटे कामकाज करने वालों का घर लौटना जारी है। इनमें भीड़ उमड़ रही है। इनमें ज्यादातर वही लोग हैं, जो कोरोना की वजह से काम-धंधा नहीं मिलने के कारण वापस घर जा रहे हैं। वहीं, कई लोग परिवार में शादी के चलते भी घर लौट रहे हैं। हालांकि लौटने की सबसे बड़ी वजह काम न मिलना है। ज्यादातर का कहना है कि यदि मुंबई में ठीक-ठाक काम मिल रहा होता तो शायद वापस नहीं जाते।

रविवार दोपहर तीन बजे भोपाल स्टेशन से गुजरी लोकमान्य तिलक टर्मिनस-गोरखपुर ट्रेन खचाखच भरी थी। गोरखपुर जा रहे 50 वर्षीय फयाजुद्दीन ने बताया कि अभी वे जमीन की नपती करवाने जा रहे हैं। मुंबई में कोरोना संक्रमण के बाद से काम मंदा ही चल रहा है। उन्होंने बताया कि कोरोना की वजह से जिस तरह का माहौल बना है, उस कारण गांव की जमीन को वे जीवनयापन के विकल्प के रूप में देख रहे हैं।

श्रमिकों से मनमाना किराया ले रहे बस वाले

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित है बड़वानी जिले का सेंधवा। यहां पिछले कई दिनों से आप्रवासी श्रमिकों की संख्या बढ़ी हुई है। सभी मप्र होते हुए उत्तर प्रदेश या बिहार जा रहे हैं। पिछले लॉकडाउन में शहर की समाजसेवी संस्थाओं ने आप्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन, पानी सहित अन्य व्यवस्थाएं की थीं, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं दिख रहा। श्रमिकों ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में फंस गए थे। भूखे मरने से घर जाना ही बेहतर समझा। ऐसी आपदा में इनसे बस वाले दो से ढाई गुना अधिक किराया ले रहे हैं।

रविवार सुबह करीब 11 बजे सेंधवा बायपास पर सड़क किनारे भूखे-प्यासे और परेशान मजदूर बस का इंतजार करते नजर आए। पुणे में गैरेज पर काम करने वाले विजय मौर्य ने बताया कि लॉकडाउन के कारण दिक्कतें बढ़ने लगी तो पत्नी को लेकर उप्र के सिद्धार्थनगर स्थित अपने घर जा रहे हैं। सुभाष यादव पुणे में काम करते थे। गुजर-बसर में मुश्किल होने लगी तो उप्र के बस्ती जिला स्थित घर जा रहे हैं।

गुजरात की पिटोल सीमा पर बेरोकटोक सफर

उधर, गुजरात से लगे मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल से होकर अन्य राज्यों में जाने वाले यात्रियों का सफर बेरोकटोक जारी है। सैकड़ों लोग गुजरात से आकर मध्य प्रदेश के अन्य जिलों व उत्तर प्रदेश, बिहार जा रहे हैं। इनकी वापसी की वजह कोरोना नहीं है। पिटोल सीमा पर न तो कोई जांच चल रही है, न ही किसी को क्वारंटाइन करने के सरकारी प्रबंध हैं। रविवार दोपहर पिटोल से होकर जा रही बस में सफर कर रहे 24 परिवारों में से एक परिवार के मुकेश यादव निवासी गोरखपुर ने बताया कि बस में उप्र के कई जिलों के लोग हैं। ये गुजरात के सूरत से प्रयागराज, बस्ती व अन्य जिलों के गांवों व शहरों को जा रहे हैं। कोई खेती के काम से तो तो कोई परिवार में शादी-ब्याह के कारण जा रहा है।

यूपी के बलरामपुर निवासी लालबाबू ने बताया, 'मुंबई में मजदूरी करता हूं। वहां आंशिक लॉकडॉउन है, काम भी कुछ खास नहीं चल रहा है। घर में शादी है, तो सोचा शादी में ही चला जाऊं।'

यूपी के सुल्तानपुर निवासी ओमकार प्रसाद ने कहा, 'मुंबई में पान का ठेला लगाता था। पिछले साल हुए लॉकडाउन के बाद एक माह पहले ही मुंबई लौटा था। व्यवसाय में कोई खास तेजी नहीं थी, बीमारी की चिंता अलग है इसलिए वापस जा रहा हूं।'

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