आदर्श समाज की स्थापना के लिए कानूनी जागरूकता का पाठ पढ़ा रही मेघवर्ना

अगर हमें एक आदर्श समाज की स्थापना करनी है तो लोगों को अधिकारों व कानूनों के प्रति जागरूक करना होगा। मेघवर्ना झुग्गी बस्ती में जा-जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। साथ ही वह महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण पर भी पिछले पांच वर्षों से काम कर रही हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 12:55 PM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 12:55 PM (IST)
आदर्श समाज की स्थापना के लिए कानूनी जागरूकता का पाठ पढ़ा रही मेघवर्ना
पूर्वी दिल्ली में कानूनी जागरूकता पैदा करने का काम करती अधिवक्ता मेघवर्ना दत्ता। (फाइल फोटो)

पूर्वी दिल्ली [रितु राणा]। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए शिक्षा के साथ साथ कानूनी जागरूकता भी जरूरी है। अगर हमें एक आदर्श समाज की स्थापना करनी है तो लोगों को अधिकारों व कानूनों के प्रति जागरूक करना होगा। इसी उद्देश्य को लेकर मेघवर्ना झुग्गी बस्ती में जा-जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। साथ ही वह महिला सुरक्षा व सशक्तिकरण पर भी पिछले पांच वर्षों से काम कर रही हैं।

दुर्गापुरी निवासी अधिवक्ता मेघवर्ना दत्ता ने कहा कि सुरक्षित महिला ही सुरक्षित समाज की पहचान है। महिलाएं सुरक्षित व आत्मनिर्भर होंगी तो समाज भी आगे बढ़ेगा। वह समय समय पर महिलाओं को उनकी सुरक्षा व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती रहती हैं। वह हर पीड़ित व शोषित महिला के साथ खड़ी रहती हैं। उन्होंने बताया कि देश में महिलाओं के लिए कानून तो बहुत हैं लेकिन उनके प्रति लोग जागरूक नहीं हैं। इसके लिए वह चाहती हैं कि स्कूली शिक्षा में कानूनी जागरूकता पाठ्यक्रम को जोड़ा जाए। वह अधिकारों व कानूनों की जानकारी घर-घर तक पहुंचाना चाहती हैं ताकि कोई भी शोषण का शिकार न हो सके।

मेघवर्ना ने बताया कि उनके पिता वीरेंद्र पुंज प्रीत विहार एसीपी हैं और उन्होंने बचपन से ही अपने पिता को समाजसेवा करते देखा है। जिससे प्रेरित होकर वह भी आज समाजसेवा कर रही हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में भी घर से बाहर निकलकर उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर गरीब व जरूरतमंद की मदद की। यहां तक कि गरीब महिलाओं को पिता के साथ मिलकर सैनेटरी पैड भी वितरित किए। वह कड़कड़डूमा के पास झुग्गियों में जाकर बच्चों को शिक्षा के साथ कानूनी जागरूकता का पाठ भी पढ़ाती हैं। ताकि बच्चों को उनके अधिकारों व कानूनों की जानकारी हो। इससे आगे चलकर वह अपने व दूसरें पर हो रहे अन्याय के खिलाफ खुलकर आवाज उठा पाएंगे।  

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