मेडिकल कॉलेज को एमडी में प्रवेश के नाम पर वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटानी होगी

याचिका के मुताबिक 2017 में कालेज के डायरेक्टर ने उन्हें बुलाया और कहा कि नई प्रवेश नीति के तहत कॉलेज को कुछ सीटों पर सीधे प्रवेश देने का अधिकार मिला है। वे चाहें तो उन्हें एमडी (पैथालॉजी) में सीधे प्रवेश मिल सकता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 06:25 AM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 06:25 AM (IST)
मेडिकल कॉलेज को एमडी में प्रवेश के नाम पर वसूली गई राशि ब्याज सहित लौटानी होगी
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ।

इंदौर, जेएनएन। एमडी (पैथोलॉजी) कोर्स में प्रवेश देने के नाम पर महिला डॉक्टर से 26 लाख 60 हजार रुपये वसूलने वाले इंडेक्स मेडिकल कॉलेज को वसूली गई रकम ब्याज सहित लौटानी होगी। मंगलवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने डॉक्टर की तरफ से दायर याचिका का निराकरण करते हुए यह आदेश दिया। ब्याज सहित यह रकम करीब 35 लाख रुपये होगी।

यह मामला इंडेक्स मेडिकल कॉलेज से ही वर्ष 2016 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर चुकी डॉ. उमाश्री सिंह का है। याचिका के मुताबिक 2017 में कालेज के डायरेक्टर ने उन्हें बुलाया और कहा कि नई प्रवेश नीति के तहत कॉलेज को कुछ सीटों पर सीधे प्रवेश देने का अधिकार मिला है। वे चाहें तो उन्हें एमडी (पैथालॉजी) में सीधे प्रवेश मिल सकता है।

डायरेक्टर की बातों पर विश्वास कर डॉ. सिंह ने प्रवेश के एवज में कॉलेज के खाते में 26 लाख 60 हजार रुपये जमा करवा दिए। यह रकम उन्होंने डिमांड ड्राफ्ट और आरटीजीएस (ऑनलाइन ट्रांसफर) के जरिये जमा की थी। इसके बाद कॉलेज ने तीन साल तक डॉ. सिंह की कोई परीक्षा नहीं ली। हर बार उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही परीक्षा आयोजित होगी। शक होने पर डॉ.सिंह ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) से वर्ष 2017 में एमडी (पैथोलॉजी) में प्रवेश लेने वाले डॉक्टरों की सूची निकलवाई तो पता चला कि कभी उनका प्रवेश हुआ ही नहीं था। बगैर प्रवेश दिए कॉलेज ने उनसे इतनी बड़ी रकम वसूल ली थी। कालेज रसीद पर भी उमाश्री को एमडी (पैथोलॉजी) की छात्रा बताता गया था। इस पर डॉ.सिंह ने जबलपुर के एडवोकेट आदित्य संघी के माध्यम से हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की।

एडवोकेट संघी ने बताया कि मंगलवार को जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला ने याचिका का निराकरण करते हुए इंडेक्स मेडिकल कॉलेज को वसूली गई 26 लाख 60 हजार रुपये की रकम छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया है।

सिर्फ 35 दिन में आ गया फैसला

एडवोकेट संघी ने बताया कि डॉ. सिंह ने 17 अगस्त को उनसे संपर्क किया था। 25 अगस्त को उन्होंने जबलपुर से ही इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर कर दी। 35 दिन में सिर्फ चार सुनवाई में ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुना दिया। कोरोना काल में संभवत: यह अपनी तरह का इकलौता मामला है, जिसमें कोर्ट ने इतना त्वरित न्याय दिलाया है।

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