गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान के 1947 हमले के विरोध में व्यापक प्रदर्शन, आजादी समर्थक लगे नारे

प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना और अन्य प्रशासकों से कब्जा किए गए क्षेत्र को छोड़ने की मांग की। पार्टी के चेयरमैन सरदार शौकत अली कश्मीरी ने कहा पाकिस्तान क्षेत्र पर कब्जा और जम्मू एवं कश्मीर में हजारों निर्दोष लोगों की हत्या करने का अपराधी है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 07:59 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 09:01 PM (IST)
गुलाम कश्मीर में पाकिस्तान के 1947 हमले के विरोध में व्यापक प्रदर्शन, आजादी समर्थक लगे नारे
प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना और अन्य प्रशासकों से इलाके से बाहर जाने की मांग की

मुजफ्फराबाद, एएनआइ। गुलाम कश्मीर में 22 अक्टूबर, 1947 को हुए पाकिस्तानी के हमले के विरोध में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। क्षेत्र पर पाकिस्तान के कब्जे के विरोध में एक मशाल जुलूस भी निकाला जाएगा। मुजफ्फराबाद शहर में यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी ने 75 वर्ष पहले जम्मू एवं कश्मीर पर कबायली एवं पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए हमले के खिलाफ रैली निकाली।

गुलाम कश्मीर में प्रदर्शनकारियों ने आजादी समर्थक नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सेना और अन्य प्रशासकों से कब्जा किए गए क्षेत्र को छोड़ने की मांग की। पार्टी के चेयरमैन सरदार शौकत अली कश्मीरी ने कहा, 'पाकिस्तान क्षेत्र पर कब्जा और जम्मू एवं कश्मीर में हजारों निर्दोष लोगों की हत्या करने का अपराधी है।'

पाकिस्तान से बिना शर्त माफी मांगने और राज्य से पीछे हटने की मांग

22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तानी आक्रमण में मारे गए निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए नीलम ब्रिज में एक मशाल जुलूस भी निकाला जाएगा। राष्ट्रीय बराबरी पार्टी जेकेजीबीएल मशाल जुलूस का आयोजन करेगी। प्रदर्शनकारियों ने आजादी मिलने तक पाकिस्तानी कब्जे के खिलाफ संघर्ष जारी रखने की शपथ ली। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान से बिना शर्त माफी मांगने और राज्य से पीछे हटने की मांग की।

बांग्लादेश में भी हुए प्रदर्शन

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भी शुक्रवार को प्रदर्शन हुए और 22 अक्टूबर को 'काला दिवस' के रूप में मनाया गया। इसी तारीख को 1947 में पाकिस्तान की अगुआई में कबायली बलों ने कश्मीर पर हमला किया था। जम्मू एवं कश्मीर पर कब्जा करने के लिए 'आपरेशन गुलमर्ग' कोड नाम से यह हमला किया गया था। इस घटना को पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेश में 'आपरेशन सर्चलाइट' कोड नाम से 1971 में किए गए नरसंहार के जैसा माना जाता है।

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