गुलामी के कलंक से मुक्त होगा मध्य प्रदेश, भारतीयता की पहचान बनेंगे कई शहर, नाम बदलने की हुई तैयारी

मध्य प्रदेश सरकार ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। ऐसे शहरों के नाम बदलकर भारतीय संस्कृति की पहचान फिर से कायम करने की शुरुआत नर्मदापुरम (होशंगाबाद) और भेरूंदा (नसरल्लागंज) से हो चुकी है। वहीं अब एक दर्जन शहरों-स्थानों के नाम बदलने की तैयारी है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:06 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 07:40 AM (IST)
गुलामी के कलंक से मुक्त होगा मध्य प्रदेश, भारतीयता की पहचान बनेंगे कई शहर, नाम बदलने की हुई तैयारी
भोपाल के मिंटो हॉल का भी बदलेगा नाम

मनोज तिवारी, भोपाल। मध्य प्रदेश में कई शहरों और प्रमुख स्थानों के नाम बदलकर विदेशी आक्रांताओं की गुलामी के कलंक से मुक्ति पाने की तैयारी है। इनमें भोपाल और यहां का मिंटो हॉल भी शामिल है। इसका उपयोग लंबे समय तक विधानसभा भवन के तौर पर होता रहा। प्रदेश सरकार ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। ऐसे शहरों के नाम बदलकर भारतीय संस्कृति की पहचान फिर से कायम करने की शुरुआत नर्मदापुरम (होशंगाबाद) और भेरूंदा (नसरल्लागंज) से हो चुकी है। अब भोपाल, भोपाल के मिंटो हॉल, औबेदुल्लागंज, गौहरगंज, बेगमगंज, गैरतगंज, बुरहानपुर, सुल्तानपुर सहित एक दर्जन शहरों-स्थानों के नाम बदलने की तैयारी है।

मालूम हो, इन शहरों के निवासी और जनप्रतिनिधि लंबे समय से नाम बदलने की मांग कर रहे हैं। करीब तीन महीने पहले विधानसभा के सामयिक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) रहते हुए रामेश्वर शर्मा ने भोपाल में ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरुनानक टेकरी करने की मांग की थी। करीब 500 साल पहले सिखों के पहले गुरु नानक देव इस टेकरी पर रुके थे। यहां गुरु के पैरों के निशान हैं। इससे पहले भोपाल नगर निगम परिषद शहर का नाम भोजपाल करने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है, जो शासन स्तर पर लंबित है।

नाम बदलने की प्रक्रिया स्थानीय नागरिक और जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र, स्थान या जिले का नाम बदलने की मांग करते हैं। स्थानीय निकाय प्रस्ताव शासन को भेजता है और कैबिनेट की मंजूरी के बाद ये प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाता है। उनके अनुमोदन के बाद गृह विभाग नाम परिवर्तन की अधिसूचना जारी करता है।

ऐसी है कहानी

भोपाल शहर की स्थापना 11वीं शताब्दी में राजा भोज ने की थीा। तब इसकी पहचान भूपाल (भू-पाल) नाम से थी। सैफिया कॉलेज के सहायक प्राध्यापक असर किदवई बताते हैं कि फारसी और उस समय की हिंदी की पुस्तकों में इसका उल्लेख है। अफगान आक्रांता दोस्त मोहम्मद खां ने 1720 ईसवीं में यहां शहर बसाने की शुरुआत की। तब तक अपभ्रंश होते-होते नाम भोपाल हो गया।

लॉर्ड मिंटो हॉल

वर्ष 1909 में भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो भोपाल आए थे। उन्हें राजभवन में रकवाया गया था, वे वहां की व्यवस्थाओं से नाराज थे। तब तत्कालीन नवाब सुल्तानजहां बेगम ने 12 नवंबर 1909 को लॉर्ड मिंटो से इस हॉल की नींव रखवाई और उन्हीं के नाम पर नामकरण हुआ।

औबेदुल्लागंज

रायसेन जिले के इस शहर का नाम भोपाल नवाब सुल्तानजहां बेगम के दूसरे पुत्र औबेदुल्ला खां के नाम पर है। ऐसे ही पहले पुत्र नसरल्ला खां को भेरूंदा (नसरल्लागंज) की जागीर देकर नया नामकरण किया गया।

गौहरगंज

रायसेन जिले की ही तहसील गौहरगंज का नाम भोपाल नवाब हमीदउल्लाह खां की बेटी आबिदा सुल्तान के नाम पर पड़ा है। उन्हें गौहर महल के खिताब से नवाजा गया था। किदवई बताते हैं कि इसका नाम पहले राजा भोज के मंत्री कलिया के नाम पर कलियाखेड़ी था।

कुछ शहरों के पुराने नाम

भोपाल -- भूपाल, भोजपाल विदिशा -- भेलसा, विदावती सीहोर -- सीधापुर ओंकारेश्वर -- मांदाता दतिया -- दिलीप नगर महेश्वर -- माहिष्मति जबलपुर -- त्रिपुरी, जबालिपुरम ग्वालियर -- गोपांचल दमोह -- तुंडीखेत

विधानसभा के पूर्व सामयिक अध्यक्ष एवं विधायक रामेश्वर शर्मा ने बताया कि ईदगाह का नाम बदलने की हमारी मांग जारी है। सिख समाज भी जिलों में ज्ञापन दे रहा है। हमारा उद्देश्य उन स्थानों के नाम बदलना है, जो गुलामी के प्रतीक हैं। 

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