मलेरिया है जानलेवा बीमारी, जानें- इसके लक्षण और बचाव के तरीके

2018 वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2016 की तुलना में 2017 में मलेरिया के मामलों में 24 फीसद कमी आई है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 09:26 AM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 09:32 AM (IST)
मलेरिया है जानलेवा बीमारी, जानें- इसके लक्षण और बचाव के तरीके
मलेरिया है जानलेवा बीमारी, जानें- इसके लक्षण और बचाव के तरीके

नई दिल्‍ली, जागरण स्‍पेशल। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सोमवार को जारी 2018 वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2016 की तुलना में 2017 में मलेरिया के मामलों में 24 फीसद कमी आई है। पिछले साल इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा भी कम हुआ है। मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित 11 देशों की सूची में शामिल भारत इकलौता देश है जहां इस मच्छर जनित बीमारी के मामले घटे हैं। भारत को 2027 तक मलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

कम हुए मामले

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2016 की तुलना में 2017 में मलेरिया के तीस लाख यानी तकरीबन 24 फीसद मामलों में कमी आई है। उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं।

80 फीसद हिस्सेदारी

वैश्विक मलेरिया में भारत समेत उप सहारा अफ्रीका के 15 देशों की 80 फीसद हिस्सेदारी है। 2017 में मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित शीर्ष दस अफ्रीकी देशों जिनमें नाइजीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और मेडागास्कर जैसे देशों में तकरीबन 35 लाख मामले बढ़े हैं।

मलेरिया मुक्त बने भारत

2030 तक दुनिया को मलेरिया मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इससे तीन साल पहले यानी 2027 तक भारत खुद को मलेरिया मुक्त घोषित करने की कोशिश में है।

क्या है मलेरिया

मलेरिया प्लाज्मोडियम नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है। यह मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से होता है। ये मच्‍छर गंदे पानी में पनपता है। आमतौर पर मलेरिया के मच्छर रात में ही ज्यादा काटते हैं। कुछ मामलों में मलेरिया अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। ऐसे में बुखार ज्यादा न होकर कमजोरी होने लगती है और एक स्टेज पर मरीज को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है।

जानें लक्षण तेज बुखार जो ठंड और कंपकंपी के साथ आता है। सिर में तेज दर्द होना एवं मांसपेशियों में दर्द। कमर में दर्द होना। उल्टी आना और उल्टी की इच्छा हमेशा बनी रहना।

गंभीर बीमारी में लक्षण पीलिया होना। पेशाब कम होना। बेहोश होना। दौरे आना। सांस लेने में तकलीफ होना।

मर्ज की जटिलताएं गंभीर अवस्था में दिमागी (सेरीब्रल) मलेरिया होता है। इसमें रोगी बेहोश होता है और कोमा में भी जा सकता है। मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति किडनी, लिवर और लंग्स फेल्यर की स्थिति में भी जा सकते हैं। गर्भवती महिलाओं में मलेरिया का संक्रमण गर्भपात का कारण भी बन सकता है। सही उपचार न होने पर मलेरिया बार-बार हो सकता है जिसे रिलेप्स मलेरिया कहते हैं। रिलेप्स दो से छह माह में होता है। मलेरिया के जीवाणु लिवर में भी जीवित रह सकते हैं।

डायग्नोसिस मलेरिया का निदान ब्लड टेस्ट के द्वारा किया जाता है। रोगी के रक्त से स्लाइड बनाकर प्रशिक्षित डॉक्टर माइक्रोस्कोप के द्वारा प्लाज्मोडियम नामक पैरासाइट की जांच करते हैं। आजकल अत्याधुनिक तकनीक के द्वारा एंटीजेनरेपिड कार्ड टेस्ट से मलेरिया की डायग्नोसिस कुछ ही मिनटों में की जा सकती है।

बेहतर है बचाव मच्छरों को पनपने से रोकें। इसके लिए अपने आसपास सफाई का ध्यान रखें। मच्छर ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। इसलिए बारिश के पहले ही नालियों की सफाई करवाएं और गड्ढे आदि भरवाएं। अगर जल निकास संभव न हो तो कीटनाशक डालें। बारिश के दिनों में मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें। जैसे पूरी बाजू का कुर्ता और पायजामा आदि। मच्छर भगाने वाली क्रीम और स्प्रे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाना जरूरी है। यह कार्य सरकारी तंत्र के अलावा डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ अच्छी तरह से कर सकता है। मलेरिया से बचाव का कोई टीका (वैक्सीन) अभी तक उपलब्ध नहीं है, पर इस पर अनुसंधान जारी है। मलेरिया बहुल इलाकों में जाने वाले व्यक्तियों को सलाह दी जाती है कि वे कुछ सप्ताह या कुछ महीनों तक डॉक्टर की सलाह से मलेरिया से बचाव के लिए कुछ दवाएं ले सकते हैं।

इलाज के बारे में

समुचित इलाज न करने या लापरवाही बरतने पर मलेरिया जानलेवा हो सकता है। देश में हर साल हजारों लोग मलेरिया के संक्रमण से मर रहे हैं। इसलिए लक्षणों के प्रकट होते ही रोगी को शीघ्र ही डॉक्टर के पास ले जाकर जांच करवाएं। शीघ्र ही डायग्नोसिस औरइलाज से मलेरिया से होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। मलेरिया में कई तरह की दवाओं का उपयोग होता है।

सबसे कारगर और डब्लूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त फस्र्ट लाइन दवा है- आर्टीमीसाइन कॉम्बिनेशन थेरेपी। यह दो दवाओं का मिश्रण है जो न केवल मलेरिया के रोगी को ठीक करती है बल्कि मलेरिया के रिलेप्स होने और इसे दूसरे व्यक्ति में फैलने से भी रोकती है। इसके अलावा क्लोरोक्वीन और सल्फा ड्रग आदि का भी इस्तेमाल होता है। बुखार उतारने के लिए पीड़ित व्यक्ति को पैरासिटामोल दें और शरीर में पानी की कमी को रोकने के लिए ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थ दें।  

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