यहां पढ़ें- अयोध्‍या में पीएम मोदी के संबोधन के पांच मुख्‍य बिंदु, 'जय सिया राम' से की थी शुरुआत

पीएम मोदी ने अयोध्‍या में कहा कि यहां पर बनने वाला श्री राम का भव्‍य मंदिर समूचे भारतवासियों की आस्‍था का प्रतीक है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 03:25 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 03:25 PM (IST)
यहां पढ़ें- अयोध्‍या में पीएम मोदी के संबोधन के पांच मुख्‍य बिंदु, 'जय सिया राम' से की थी शुरुआत
यहां पढ़ें- अयोध्‍या में पीएम मोदी के संबोधन के पांच मुख्‍य बिंदु, 'जय सिया राम' से की थी शुरुआत

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। अयोध्या में श्री राम के मंदिर के लिए पीएम मोदी द्वारा किए गए भूमि पूजन के बाद अब देश के 130 करोड़ लोगों को वर्षों का सपना सच होते हुए प्रतीत हो रहा है। इस खास मौके पर कई गणमान्‍य लोग इस पल के साक्षी बने थे। पीएम मोदी ने यहां पर न सिर्फ पूजन किया बल्कि यहां की मिट्टी को अपने माथे से भी लगाया। इस मौके पर उत्‍तर प्रदेश के सीएम ने समेत पीएम मोदी ने भी जनता को इस खास अवसर के आने पर बधाई दी। अपने संबोधन में उन्‍होने कई सारी बातें कहीं। पीएम मोदी ने अपना संबोधन की शुरुआत ही जय सिया राम के नारे के साथ की। उन्‍होंने कहा कि ये उनका सौभाग्य है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने उन्‍हें इस ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने का अवसर दिया। इसके लिए उन्‍होंने ट्रस्‍ट का आभार भी व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंने कहा कि राम हमारे मन में गढ़े हुए हैं। कोई काम करना हो, तो प्रेरणा के लिए हम भगवान राम की ओर ही देखते हैं। श्रीराम भारत की मर्यादा हैं, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। आइये जानते हैं उनके इस संबोधन की कुछ खास बातें।

वर्षों से टाट और टेंट के नीचे रह रहे हमारे रामलला के लिए अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा। सदियों से चल रहे बनने और बिगड़ने के इस क्रम से अब रामजन्मभूमि पूरी तरह से मुक्त हो गई है। इस पल को लेकर पूरा देश रोमांचित है, हर मन दीपमय है। सदियों का इंतजार आज समाप्त हो गया है। हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई-कई पीढ़ियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। अंग्रेजों की गुलामी से देश को मुक्‍त कराने के लिए उस वक्‍त कोई ऐसा नहीं था जिसने उसमें भाग न लिया हो। इस आंदोलन और इससे जुड़ने वालों से देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था जहां आजादी के लिए लोगों ने बलिदान न दिया हो। राम मंदिर के लिए चले आंदोलन में अर्पण, तर्पण, संघर्ष और संकल्प शामिल था। इस आंदोलन में शामिल लोगों के त्याग, बलिदान और संघर्ष से आज ये सपना साकार हो रहा है। मैं उन सभी को 130 करोड़ देशवासियों की तरफ से नमन करता हूं। भगवान राम की अद्भुत शक्ति की ही बदौलत इमारतें नष्ट कर दी गईं। उनका अस्तित्व मिटाने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन भगवान राम आज भी हमारे मन में बसे हैं। ये हमारी संस्कृति का आधार हैं। श्रीराम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा। ये मंदिर हमारी शाश्वत आस्था, राष्ट्रीय भावना और देश के करोड़ों लोगों की सामूहिक शक्ति का भी प्रतीक बनेगा। उन्‍होंने कहा कि श्रीरामचंद्र को तेज में सूर्य के समान, क्षमा में पृथ्वी के तुल्य, बुद्धि में बृहस्पति के सदृश्य और यश में इंद्र के समान माना गया है। क्‍योंकि वो सत्‍य पर अडिग हैं इसलिए ही वो संपूर्ण हैं। श्रीराम का जीवन हमें प्रेरणा देता है। भारत की भावना में प्रभु राम झलकते हैं। इस देश की आस्था में राम हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत के बाहर कई देशों में वहां की स्‍थानीय भाषा में रामकथा प्रचलित है। राम सभी के हैं और सभी में है। पीएम मोदी ने कहा कि उन्‍हें पूरा विश्‍वास है कि राम मंदिर के निर्माण का काम शुरू होने से करोड़ों लोगों को सुख अनुभूति हो रही होगी। उन्‍होंने ये भी कहा कि ये भव्य राममंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का द्योतक होगा और अनंतकाल तक पूरी मानवता को प्रेरणा देगा।

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