नए आइटी रूल्स के दो उपबंधों पर मद्रास हाईकोर्ट ने भी लगाई रोक, मीडिया से संबंधित प्रविधानों पर बाम्बे हाईकोर्ट भी दे चुका स्‍टे

मद्रास हाईकोर्ट ने इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी रूल्स 2021 के दो उप बंधों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने यह फैसला याचिकाकर्ताओं के यह आशंका जताने पर किया कि इन उप बंधों के चलते मीडिया की स्वतंत्रता बाधित होगी...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 09:32 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 01:10 AM (IST)
नए आइटी रूल्स के दो उपबंधों पर मद्रास हाईकोर्ट ने भी लगाई रोक, मीडिया से संबंधित प्रविधानों पर बाम्बे हाईकोर्ट भी दे चुका स्‍टे
मद्रास हाईकोर्ट ने इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी रूल्स 2021 के दो उप बंधों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है।

चेन्नई, पीटीआइ। मद्रास हाईकोर्ट ने इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी रूल्स 2021 के दो उप बंधों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। हाईकोर्ट ने यह फैसला याचिकाकर्ताओं के यह आशंका जताने पर किया कि इन उप बंधों के चलते मीडिया की स्वतंत्रता बाधित होगी और ये लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं। अगस्त में बाम्बे हाईकोर्ट ने भी इसी तरह का आदेश पारित कर नए इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी रूल्स के कुछ प्रविधानों पर रोक लगाई थी। मद्रास हाईकोर्ट ने आइटी नियम नौ के उप बंध (1) और (3) पर रोक लगाई है।

इन उप बंधों को बीती फरवरी में पूर्व में लागू आइटी रूल्स में शामिल किया गया था। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और जस्टिस पीडी आदिकेशवालू की पीठ ने संगीतकार टीएम कृष्णा और डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर अंतरिम आदेश जारी किया। इस एसोसिएशन में तमिलनाडु के 13 मीडिया आउटलेट शामिल हैं। याचिका में आइटी रूल्स की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।

पीठ ने कहा, प्रथम दृष्टि में प्रतीत होता है कि सरकार ने मीडिया (प्रिंट और इलेक्ट्रानिक) पर नियंत्रण वाली व्यवस्था बनाई है। इससे मीडिया की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्य प्रभावित होंगे। पीठ अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में फिर से मामले की सुनवाई करेगी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकृति की याचिकाओं के बारे में जानकारी भी कराई जाएगी। बाम्बे हाईकोर्ट ने भी लोकतांत्रिक मूल्यों का हवाला देकर अगस्त में नियम नौ के उप बंध (1) और (3) पर ही रोक लगाई थी। 

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया प्‍लेटफार्मों और वेब पोर्टल्स पर फर्जी खबरों को लेकर गंभीर चिंता जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मीडिया के एक वर्ग में दिखाई जाने वाली खबरों में सांप्रदायिकता का रंग होने से देश की छवि खराब हो रही है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था वेब पोर्टल्स समेत आनलाइन सामग्री के नियमन के लिए आईटी नियम बनाए गए हैं। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया केवल शक्तिशाली आवाजों को ही सुनता है।

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