मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, मंदिरों की जमीनों पर कब्‍जा करने वालों को गुंडा एक्‍ट के तहत करें गिरफ्तार

मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग को निर्देश दिया कि यदि अतिक्रमणकर्ता स्वेच्छा से मंदिर की संपत्तियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर नहीं लौटाते हैं तो उन्‍हें गुंडा एक्‍ट के तहत गिरफ्तार किया जाए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 06:50 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 12:37 AM (IST)
मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, मंदिरों की जमीनों पर कब्‍जा करने वालों को गुंडा एक्‍ट के तहत करें गिरफ्तार
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि मंदिरों की जमीनों पर कब्‍जा करने वालों को गुंडा एक्‍ट के तहत गिरफ्तार करें...

चेन्‍नई, आइएएनएस। मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को तमिलनाडु के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग को एक सार्वजनिक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया जिसमें राज्य भर में मंदिर संपत्तियों के अतिक्रमणकारियों को एक निर्धारित अवधि के भीतर स्वेच्छा से जमीन सुपुर्द करने का आह्वान किया गया है। अदालत ने विभाग को विशेष रूप से अधिसूचना में इस बात का उल्लेख करने का निर्देश दिया है कि यदि अतिक्रमणकर्ता स्वेच्छा से मंदिर की संपत्तियों को निर्धारित समय सीमा के भीतर आत्मसमर्पण नहीं करते हैं तो उन्‍हें गुंडा एक्‍ट के तहत आपराधिक कार्यवाही के तहत गिरफ्तार किया जाए।

न्यायमूर्ति एस सुब्रमण्यम ने जारी आदेश में कहा कि राज्य सरकार, हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग और डीजीपी ऐसी जमीनों को हड़पने वालों के खिलाफ गुंडा अधिनियम (Goondas Act) लागू करने में संकोच नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ संबंधित अतिक्रमण के तथ्यों के अनुसार गुंडा अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू की जाए। यही नहीं अदालत ने अतिक्रमित मंदिरों की संपत्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए एक विशेष प्रकोष्ठ के गठन का भी आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि केवल त्रुटिहीन सत्यनिष्ठा और कर्तव्य के प्रति समर्पण वाले अधिकारियों को ही सेल का हिस्सा बनाया जाए। अदालत ने यह भी कहा है कि प्रकोष्‍ठ के अधिकारियों की संख्या राज्य के सभी मंदिरों के साथ-साथ हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के कार्यालयों के नोटिस बोर्ड पर प्रमुखता से प्रदर्शित की जाए। अदालत ने कहा कि यह इसलिए है क्‍योंकि मंदिर की भूमि की रक्षा करने में रुचि रखने वाले लोग शिकायत दर्ज करा सकें।

अदालत ने कहा कि मंदिर की संपत्तियों पर अवैध अतिक्रमण और धोखाधड़ी समाज के खिलाफ अपराध है। यही नहीं मंदिर के धन का दुरुपयोग भी एक अपराध है और ऐसे सभी अपराधों को दर्ज किया जाना चाहिए। ऐसे अपराधियों पर राज्य सरकार की ओर से मुकदमा चलाया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि इसमें अधिकारियों के सक्रिय या निष्क्रिय सहयोग को खारिज नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सरकारी अधिकारियों की ओर से कर्तव्य में इस तरह की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उन पर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

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