इंदौर में बढ़ा प्रदूषण : 70 से 90 के बीच पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक

इंदौर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 70 से 90 के बीच दर्ज किया गया है। एक्यूआइ 50 से नीचे रहे तो हवा शुद्ध रहती है लेकिन प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ एक्यूआइ भी बढ़ता है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 11:29 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 11:29 AM (IST)
इंदौर में बढ़ा प्रदूषण : 70 से 90 के बीच पहुंचा वायु गुणवत्ता सूचकांक
इंदौर में वायु प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है।

भोपाल/इंदौर, जेएनएन। लॉकडाउन के दौरान इंदौर को प्रदूषण से काफी राहत मिली थी, लेकिन अब फिर शहर की हवा प्रदूषित होने लगी है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार इंदौर की वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 70 से 90 के बीच पहुंच रहा है। भोपाल का सूचकांक 70 से 90 के बीच है। यह सूचकांक 50 तक या उससे नीचे होने पर हवा शुद्ध होती है। प्रदूषण बढ़ने पर सूचकांक भी बढ़ता है।

वायु प्रदूषण से श्वांस, फेफड़े, एलर्जी संबंधी परेशानियां बढ़ जाती हैं। बीमार बुजुर्ग व बच्चों को अधिक परेशानी होती है। दरअसल, पीसीबी के उज्जैन, भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर समेत 15 शहरों में स्टेशन हैं, जो 24 घंटे हवा में प्रदूषण की स्थिति को रिकार्ड करते हैं। 17 सितंबर को उज्जैन का सूचकांक सबसे अधिक 178 अंक तक पहुंच गया था। आंकड़ों के ंमुताबिक उज्जैन की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है।

शहर वायु गुणवत्ता सूचकांक (27 सितंबर से घटते क्रम में 17 सितंबर तक)

उज्जैन 100, 113, 121, 101, 78, 85, 114, 152, 108, 123, 178 भोपाल 63, 83, 86, 45, 34, 70, 85, 73, 76, 87, 89 मंडीदीप 42, 57, 49, 45, 44, 53, 66, 51, 56, 55, 49 इंदौर 57, 71, 69, 64, 47, 55, 57, 73, 61, 54, 71 पीथमपुर 65, 75, 83, 55, 39, 60, 52, 53, 61, 52, 62 ग्वालियर 55, 93, 63, 37, 30, 46, 83, 107, 66, 92, 152 जबलपुर 60, 80, 61, 48, 37, 46, 64, 66, 64, 94, 61 सिंगरौली 78, 62, 34, 24, 65, 50, 77, 100, 119, 118, 114 

पीआर देव, सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक पीसीबी मप्र

ओजोन गैस का स्तर वाहनों से निकलने वाले धुएं व अन्य हानिकारक उत्सर्जन से बढ़ता है। लंबे समय तक इसकी अधिकता बनी रहने से यह ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

एए मिश्रा, सदस्य सचिव, पीसीबी मप्र

उज्जैन का वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़ेने की वजह पता लगाकर उसे कम करने के लिए संबंधित एजेंसियों से समन्वय बनाएंगे।

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